राज्य सरकार का तोहफा, मानदेय में भारी वृद्धि, अक्टूबर से खाते में बढ़कर आएगी इतनी राशि, इन कर्मचारियों को मिलेगा लाभ

मानदेय वृद्धि के बाद सीएचओ को प्रतिमाह 25000 रुपए मिलेंगे।कार्य आधारित प्रोत्साहन राशि (पीबीआई) में कटौती की गई है ।

Pooja Khodani
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UP Employees Honorarium Hike : उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए खुशखबरी है। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को बड़ा तोहफा दिया है। राज्य सरकार ने सीएचओ के मानदेय में 5000 रुपये की बढ़ोतरी की है।इससे 17 हजार सीएचओ लाभान्वित होंगे।नई दरें 1 अक्टूबर 2024 से प्रभावी होंगी।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश की मिशन ने इस व्यवस्था को अक्टूबर से ही लागू करने के निर्देश जारी किए हैं। मानदेय वृद्धि के बाद सीएचओ को प्रतिमाह 25000 रुपए मिलेंगे।कार्य आधारित प्रोत्साहन राशि (पीबीआई) में कटौती की गई है । अब 15000 की जगह 10000 रुपये पीबीआई मिलेगी।

प्रोत्साहन राशि घटाने से मिलेगा लाभ

पीबीआई से 5000 रुपये काटकर उसे प्रति महीने मानदेय में जोड़े जाने से इन सीएचओ को बड़ी राहत मिल गई है।पहले किसी भी सीएचओ को पूरी प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पाती,अब मानदेय अधिक होने से उनकी पांच प्रतिशत वार्षिक मानदेय वृद्धि में भी इसका लाभ होगा। ध्यान रहे सीएचओ अब अगर ई कवच एप पर हर महीने की 28 तारीख तक कार्य के आधार पर प्रोत्साहन राशि तय कर उसे पास नहीं करेंगे तो अगले 10 दिनों बाद वह स्वत: पास मान लिया जाएगा।

जल्द बढ़ेगा सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता

  • खबर है कि दिवाली से पहले राज्य सरकार कर्मचारियों और पेंशनरों का महंगाई भत्ता 4% बढ़ाने का ऐलान कर सकती है।इसके बाद डीए 50% से बढ़कर 54% हो जाएगा। नई दरें जुलाई 2024 से लागू होंगी, ऐसे में जुलाई से सितंबर तक के एरियर का भी भुगतान किया जाएगा। इससे राज्य के करीब 20 लाख कर्मचारियों और 8 लाख पेंशनरों को लाभ मिलेगा।हालांकि अभी अधिकारिक पुष्टि होना बाकी है।
  • इसके अलावा 8 लाख कर्मियों को बोनस का लाभ भी दिया जाएगा। पिछले साल बोनस के रूप में राज्य कर्मियों को करीब 7 हजार रुपये मिले थे , इस बार भी इतने ही रुपए मिल सकती है लेकिन यह बोनस राजपत्रित अधिकारियों को नहीं मिलेगा।अनुमान है कि डीए और बोनस से यूपी सरकार के ऊपर 3 हजार करोड़ रुपये का भार पड़ेगा।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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