Supreme Court ने दी बुलडोजर कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया, दोषियों के घर गिराने पर उठाए सवाल, पढ़ें यह खबर

आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दायर याचिका पर कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस खबर में जानिए इस मामले में कोर्ट का क्या कहना है।

Rishabh Namdev
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हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने की घटनाओं पर कड़ा रुख दिखाया है। दरअसल अदालत ने इस प्रकार की कार्रवाइयों को अनुचित बताते हुए महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। हालांकि इस मामले का देश के संवैधानिक और न्यायिक सिद्धांतों पर भी गंभीर असर हो सकता है, विशेषकर जब प्रशासनिक उपायों का इस्तेमाल न्यायिक प्रक्रिया से पहले ही सजा देने के उद्देश्य से किया जाता है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दोषियों के घरों पर बुलडोजर चलाने के मामले की सुनवाई के दौरान, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनीं। वहीं सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि यह कार्रवाई म्युनिसिपल कानून के तहत की गई थी और केवल अवैध कब्जे और निर्माण के मामलों में ही इसे लागू किया गया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम आरोपियों के अपराधों के आधार पर नहीं, बल्कि अवैध कब्जे के कारण उठाया गया था।

व्यक्ति के आरोपी होने के आधार पर उसके घर को गिराना उचित नहीं : कोर्ट (Supreme Court)

बता दें कि बेंच ने इस तर्क पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि सिर्फ किसी व्यक्ति के आरोपी होने के आधार पर उसके घर को गिराना उचित नहीं ठहराया जा सकता। वहीं अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही किसी व्यक्ति को दोषी करार दिया जाए, फिर भी प्रशासनिक शक्तियों का उपयोग करते हुए उसके घर को ध्वस्त करना सही नहीं हो सकता है।

प्रशासनिक कार्रवाई का मकसद अपराधियों को सजा देना नहीं : जनरल तुषार मेहता

दरअसल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में अपनी बात रखते हुए तर्क दिया कि यह कार्रवाई उन व्यक्तियों के खिलाफ की गई थी, जिन पर अवैध कब्जे और निर्माण के आरोप थे, न कि अपराधी साबित होने के कारण। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रशासनिक कार्रवाई का मकसद अपराधियों को सजा देना नहीं था, बल्कि अवैध निर्माण को हटाना था।

जमीयत उलेमा ए हिंद ने उठाया मुद्दा

बता दें कि जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की है, जिसमें यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई बुलडोजर कार्रवाइयों को लेकर चिंता जताई गई है। जानकारी के अनुसार याचिका में दावा किया गया है कि इन कार्रवाइयों के जरिए अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। जमीयत उलेमा ए हिंद का कहना है कि यह घटनाएं प्रशासनिक शक्तियों के दुरुपयोग का उदाहरण हैं, और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह ‘बुलडोजर न्याय’ की इस प्रवृत्ति पर तुरंत रोक लगाए।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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