तालिबान ने दी चेतावनी, 31 अगस्त के बाद अफगानिस्तान से बाहर जाने की किसी को नहीं इजाजत

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दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अब लगातार वहां हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे है। अफगानिस्तान के तालिबान में आने के बाद लोग वहां से किसी भी हाल में दूसरे देशों में जाना चाह रहे है। पिछले कुछ दिनों से यहां के लोग और खासतौर पर काबुल एयरपोर्ट के आसपास मौजूद लोग डर के साए में जीने को मजबूर हो गए हैं। उनके लिए ये स्थिति एक नहीं बल्कि तीन तरफा चुनौतीपूर्ण हो गई है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि उन्‍हें ये नहीं पता है कि वो देश से बाहर निकल भी पाएंगे या नहीं। दूसरी चुनौती वहां पर हमले की आशंका के बीच खुद को सुरक्षित बनाए रखने की भी है। तीसरी सबसे बड़ी चुनौती है कि यदि 31 अगस्‍त के बाद क्‍या होगा। दरअसल तालिबान ने ऐलान कर दिया था कि 31 अगस्त तक अमेरिकी फौज और उन लोगो को बाहर जाने देगा जो तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान में रहना नही चाहते। इसके साथ ही अमेरिका द्वारा अपनी और नाटो सेना की फौज की वापसी की समय सीमा भी 31 अगस्त तय की गई थी यानी अब इसमे भी सिर्फ एक दिन बाकी है।तालिबान भी कह चुका है कि अब इसके बाद वह और समय अमेरिकी फौज को नही देगा। फिलहाल तालिबानी आतंकी काबुल एयरपोर्ट के बाहर है और एयरपोर्ट के अंदर का जिम्मा अमेरिकी सेना के हवाले है। लेकिन बुधवार को तय सीमा समाप्त होने के बाद यहां हालात बिगड़ सकते है।

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वही दूसरी तरफ तालिबान साफ चेतावनी दे चुका है कि वह 31 अगस्त के बाद किसी भी अफगानी को देश से बाहर जाने नही देगा। उसने अफगानिस्तान के लोगो से अपील भी की है कि वह देश छोड़कर दूसरे देश में न जाये। इसके अलावा तालिबान ने अमेरिका सहित दूसरे देशों को भी चेताया है कि अफगानिस्तान के नागरिकों को वह अपने देश मे न ले जाये। तालिबान ने काबुल की सड़कों पर अपने लड़ाके तैनात कर दिए है। दूसरे देश के नागरिक अपने दस्तावेज दिखाकर ही काबुल एयरपोर्ट के अंदर तक पहुंच पा रहे है।

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आशंका है कि 31 अगस्‍त को तालिबान काबुल एयरपोर्ट के अंदर भी अपना कब्जा जता सकता है। यदि ऐसा होता है तो हालात खराब हो सकते हैं। अमेरिका इस बात की आशंका जता चुका है कि उसको अपने नागरिकों और सैनिकों को निकालने में और समय लग सकता है। इस स्थिति में अफगानियों की जान आफत में आ सकती है। वही अगर 31 अगस्‍त तक यदि अमेरिका समेत सभी विदेशी सेना के जवान यहां से चले जाते हैं तो यहां पर सिर्फ तालिबान का ही राज होगा। इस स्थिति में काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा में सबसे अहम रोल अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम निभाता है। यही सिस्‍टम बाहरी हवाई हमलों से इस एयरपोर्ट की सुरक्षा करता है। अमेरिका के यहां से जाने के बाद काबुल पर आइएस-के के हमले का डर अधिक होगा।

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31 अगस्‍त के बाद तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट के संचालन के लिए तुर्की से तकनीकी मदद देने का आग्रह किया है। इसको लेकर काफी हद तक तुर्की ने अपनी सहमति भी दे दी है। कुछ मुद्दों पर वार्ता भी जारी है। तुर्की को इस बात का डर सता रहा है कि बिना उनकी सेना की मौजूदगी के उनके तकनीकी विशेषज्ञों की सुरक्षा कैसे संभव हो सकेगी।
अमेरका के फिलहाल वहां पर 250-300 लोग तक मौजूद हैं, जिन्‍हें जल्‍द ही निकाल लिया जाएगा। ब्रिटेन ने अपने सभी नागरिकों और जवानों को निकाल लिया है। वहीं जर्मनी ने भी इस कवायद को पूरा कर लिया है। तुर्की इसके अंतिम चरण में है। भारत की बात करें तो वो भी 31 अगस्‍त तक अपने सभी नागरिकों को यहां से बाहर निकाल लेना चाहता है। यही वजह है कि उसके विमान हर रोज उड़ान भरकर वहां से नागरिकों को निकाल रहे हैं। भारत ने अफगानिस्‍तान में चलाए जा रहे रेस्‍क्‍यू मिशन को आपरेशन देवी शक्ति का नाम दिया है। इसके जरिए अब तक 800 से अधिक लोगों को भारत लाया जा चुका है।


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Harpreet Kaur

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