Sun, Dec 28, 2025

सु्प्रीम कोर्ट ने कहा- पति की गुलाम या संपत्ति नहीं पत्नी, बिना मर्जी नहीं रख सकते साथ

Written by:Shruty Kushwaha
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सु्प्रीम कोर्ट ने कहा- पति की गुलाम या संपत्ति नहीं पत्नी, बिना मर्जी नहीं रख सकते साथ

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने फिर कहा है कि पत्नी पति की निजी संपत्ति नहीं होती है। विवाहित महिला पति की संपत्ति (property) या गुलाम (slave) नहीं है और उसे पति के साथ रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। ये टिप्पणी अदालत ने एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।

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दरअसल, एक व्यक्ति ने याचिका दायर की थी कि अदालत उसकी पत्नी को आदेश दे कि वो उसके साथ रहे। लेकिन अदालत ने याचिकाकर्ता की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि पत्नी को संपत्ति या गुलाम नहीं माना जा सकता और उसे उसकी मर्जी के विपरित साथ रहने के लिए विवश नहीं किया जा सकता है।

ये मामला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का है। याचिकाकर्ता की शादी साल 2013 में हुई थी लेकिन शादी के बाद पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है। इस कारण वो पति से अलग रहने लगी और साल 2015 में उसने गोरखपुर अदालत में पति पर गुजारा भत्ता देने का केस लगाया जिसकर अदालत ने हर महीने पति को 20 हजार रूपये देने के आदेश दिए। इसी के बाद पति ने दाम्पत्य अधिकारों की बहाली के लिए फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर दी। यहां उसके पक्ष में फैसला हुआ जिसके बाद पति ने इलाहबाद कोर्ट में एक और याचिका दायर की कि जब वो पत्नी के साथ रहने को राजी है तो गुजारा भत्ता क्यों दे। लेकिन इस मामले पर कोर्ट ने उसकी याचिका ठुकरा दी तो पति ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। इस मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायामूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की बेंच ने कहा कि क्या महिला किसी की गुलाम है। आपको क्या लगता है जो हम ये आदेश पारित करें। क्या पत्नी आपकी निजी संपत्ति है जो उस उसकी मर्जी के खिलाफ आपके साथ जाने का निर्देश दिया जा सकता है। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर अपनी मंशा साफ कर दी है कि पत्नी पति की संपत्ति या गुलाम नहीं है और उसकी इच्चा के विरूद्ध उसे जबरदस्ती अपने साथ रहने को मजबूर नहीं किया जा सकता है।