केंद्र सरकार का अपनी बात से पलटने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर रोक लगाई

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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र के यू-टर्न के बाद देश के राजद्रोह कानून पर आज रोक लगा दी है। केंद्र ने इसके खिलाफ तर्क देते हुए कहा था कि इसे केवल कुछ जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के आधार पर नहीं रोका जा सकता है।

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इस बड़ी कहानी में 5-सूत्रीय चार्जशीट इस प्रकार है:

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में आज देशद्रोह के सभी लंबित मामलों पर रोक लगाने का आदेश दिया है और पुलिस और प्रशासन को केंद्र की समीक्षा पूरी होने तक कानून की इस धारा का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा, “यदि कोई नया मामला दायर किया जाता है, तो अदालत इसका जल्द से जल्द निपटारा करे।”

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भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, “राज्यों को स्वतंत्रता है कि वह कानून के दुरुपयोग रोकने के लिए कदम उठा सकते है।” अतः मसला समाप्त न हो जाने तक कानून के इस प्रावधान का उपयोग न किया जाए। हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र और राज्य 124ए के तहत कोई प्राथमिकी दर्ज करने से परहेज करेंगे और फिर से जांच पूरी होने के बाद इसके तहत कार्रवाई शुरू करेंगे।

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भारत संघ कानून पर पुनर्विचार करेगा। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है। अटॉर्नी जनरल ने हनुमान चालीसा मामले में दायर देशद्रोह के आरोप का भी जिक्र किया था। यह उचित होगा कि आगे की पुन: परीक्षा समाप्त होने तक कानून के इस प्रावधान का उपयोग न किया जाए।

इसके अलावा केंद्र ने कहा कि धारा 124 ए आईपीसी के तहत अधिकारी द्वारा जांच के बाद ही दर्ज की जाए। लंबित मामलों में अदालत जमानत पर शीघ्र विचार करे। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील ने कहा की, “भारत में कुल देशद्रोह के 800 से अधिक मामलों में 13,000 लोग जेल में सजा काट रहे हैं।”

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इसके अलावा सरकार ने सोमवार को यह कहा कि उसने कानून की समीक्षा करने का फैसला किया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह कदम खुद पीएम मोदी के निर्देशों के आधार पर उठाया गया है।


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Ram Govind Kabiriya

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