ज्ञानवापी में जारी रहेगा ASI का सर्वे, इलाहबाद हाईकोर्ट ने सुनाया अपना फैसला

Diksha Bhanupriy
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Gyanvapi Survey: आज ज्ञानवापी मामले में ASI के सर्वे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने सर्वे को हरी झंडी दिखा दी है, जिसके बाद अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अपना सर्वे जारी रख सकता है।

ज्ञानवापी में कराए गए वैज्ञानिक सर्वेक्षण के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने जो याचिका लगाई थी। उस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट आज अपना फैसला फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हाईकोर्ट में रखी गई सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पेश की थी। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा सर्वेक्षण में जो तकनीक अपनाई जाएगी उसके बारे में कोर्ट को रूबरू करवाया गया था।

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विभाग द्वारा इस बारे में पूरा आश्वासन दिया गया था जो किसी भी तरह से ज्ञानवापी की इमारत को एक खरोच भी नहीं पहुंचेगी। 3 दिनों तक चली इस सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया।

दायर हुई एक और याचिका

प्रयागराज हाई कोर्ट के आदेश से पहले हिंदू पक्ष की ओर से वाराणसी जिला न्यायालय में एक और याचिका दायर की गई है। इस याचिका में मुस्लिम पक्ष पर साक्ष्य मिटाने के आरोप लगाए गए हैं साथ ही परिसर में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाने की अपील भी की गई है। इस याचिका पर 4 अगस्त को सुनवाई की जाएगी।

रोका गया था सर्वे

बता दें कि ज्ञानवापी में जिला अदालत की तरफ से सर्वे को हरी झंडी दिखा दी गई थी और तुरंत उस पर काम शुरू कर दिया गया था। लेकिन सर्वे पूरे होने से पहले ही मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और यहां से सर्वे पर स्टे लगा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के कहने पर इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है और दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अब सबकी नजर उस फैसले पर है जो इस केस की दिशा को पलट कर रखने वाला है। हाई कोर्ट अगर सर्वे की इजाजत देता है तो यह हिंदू पक्ष के लिए अच्छा मौका होगा, वहीं अगर स्टे लग जाएगा तो मुस्लिम पक्ष राहत की सांस लेगा।

मुस्लिम पक्ष की दलील

सुनवाई के दौरान जो दली दी गई थी वह यह थी कि सर्वे से ज्ञानवापी को नुकसान पहुंच सकता है इसलिए इसकी इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। कुछ तस्वीरें भी पेश की गई थी जिसमें ऐसा ही अधिकारी हाथों में फावड़ा लिए दिखाई दे रहे थे। यह भी कहा गया था कि जिन लोगों ने सर्वे की मांग की है उनके पास ऐसा कोई भी सबूत मौजूद नहीं है, जिससे वह यह बता सके कि यहां पर मस्जिद से पहले मंदिर था।

ASI की सफाई

इस मामले में सुनवाई के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के एडिशनल डायरेक्टर आलोक त्रिपाठी ने कहा था कि ज्ञानवापी को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा। अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होने के कारण नुकसान का कोई भी सवाल नहीं उठता है। ऐसे में अब कोर्ट किन दलीलों को मजबूत मानकर अपना फैसला सुनाता है, ये आज पता चलेगा।

ये है विवाद

बता दें कि इस मामले की शुरुआत 16 मई को हुई थी जब चार वादी महिलाओं ने मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर बाकी जगहों का ASI सर्वे कराने की बात कही थी। इस याचिका पर सुनवाई के बाद जिला जज द्वारा सर्वे की अनुमति दी गई थी। उसी के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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