भारत का यह जिला, पहले हुआ करता था एक राज्य, 90% लोगों को नहीं पता जवाब!

भारत में एक ऐसा जिला भी है जो आजादी के बाद एक राज्य हुआ करता था, लेकिन 1960 के बाद यह दूसरे राज्य का हिस्सा बन गया। आइए जानते हैं विस्तार से यहां...

Sanjucta Pandit
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Which District of India was State : भारत का हर एक राज्य अलग-अलग महत्व और विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यहां की संस्कृति, विरासत और विविधता लोगों को दूसरे देशों से इसे अलग बनाती है। यहां सभी धर्म के लोग एकजुटता के साथ रहते हैं। एक-दूसरे के पर्व, सुख-दूख में शामिल होते हैं। इंडियन कल्चर देसी लोगों को ही नहीं, बल्कि स्वदेशियों को भी भांती है। विश्व भर के पर्यटक यहां की खूबसूरती का दीदार करने पहुंचते हैं।

ऐसे में आज हम आपको भारत के उस जिला के बारे में बताएंगे, जो कभी राज्य हुआ करता था। जिसके बारे में बहुत सारे लोगों को जानकारी नहीं है।

90% लोगों को नहीं पता जवाब!

जी हां! बिल्कुल सही पढ़ा आपने… भारत में एक ऐसा जिला भी मौजूद है, जो पहले एक राज्य हुआ करता था। यह प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाला प्रश्न भी हो सकता है। अच्छे-से-अच्छे ज्ञानी छात्र भी इसका जवाब देने में असमर्थ हैं। हालांकि, सामान्य ज्ञान के लिहाज से भी इसका जवाब पता होना जरूरी है।

कच्छ (Kachchh District)

दरअसल, इस जिले का नाम कच्छ है, जो गुजरात में स्थित है। यह साल 1947 से 1950 में भारत का एक राज्य था। जिसकी राजधानी भुज थी, लेकिन 1 नवंबर 1956 में यह मुंबई राज्य का हिस्सा बन गया। वहीं, 1960 में यह दो हिस्सों में बट गया। जिसका कुछ हिस्सा मुंबई में आया, तो कुछ हिस्सा गुजरात में शामिल हो गया। इस जिले में 97 छोटी नदियां हैं, जिनमें से ज्यादातर अरब सागर में बहती हैं।

करें एक्सप्लोर

गुजरात का कच्छ जिला कढ़ाई, बंधनी, मिट्टी के बर्तन और कच्छी चांदी के आभूषण के लिए भी प्रसिद्ध है। यदि आप इस जिले को एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो आप यहां पर नारायण सरोवर, कोटेश्वर मंदिर, मातानामढ़ और वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी जा सकते हैं।


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Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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