Makar Sankranti : मकर संक्रांति की धूम देशभर में देखने को मिल रही है। महीने भर पहले से ही लोगों ने पतंग उड़ाना शुरू कर दी है। लेकिन भारत में एक ऐसा देश है जहां का आसमान मकर संक्रांति पर सूना रहता हैं। वहां मकर संक्रांति के दिन पतंग नहीं उड़ाई जाती है ये परंपरा सालों से चली आ रही है। अब आप सोच रहे होंगे की आखिर वो कौन सा शहर हैं जहां पतंग नहीं उड़ाई जाती है तो आपको बता दे वह शहर है राजस्थान का करौली।
दरअसल, जहां एक तरह देशभर में पूरे आसमान में पतंग की धूम देखने को मिल रही है वहीं दूसरी ओर करौली का आसमान सूना है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर यहां पतंग क्यों नहीं उड़ाई जाती है? क्यों यहां का आसमान सूना रहता हैं? आप भी ये जानना चाहते होंगे। तो चलिए जानते हैं आखिर क्यों करौली में पतंग नहीं उड़ाई जाती है-
250 सालों से नहीं उड़ाई जा रही करौली में पतंग –
करौली में 250 सालों से ये परंपरा चली आ रही है। 250 सालों से यहां पतंग नहीं उड़ाई जाती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि यहां कभी पतग लोग नहीं उड़ाते हैं। यहां महाराजा गोपाल सिंह के काल से ही करौली में मकर संक्रांति का त्यौहार जन्माष्टमी और रक्षाबंधन के दिन मनाया जाता है।
उसी दिन यहां पतंगबाजी की जाती है और ये परंपरा सालों से चली आ रही है इसलिए लोग वहां जन्माष्टमी और रक्षाबंधन पर पतंग उड़ाते हैं। पिंक सिटी से करौली 150 किमी दूर है। यहां घूमने के लिए नदियों, जंगलों और पहाड़ है। जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। करौली एक प्रकार का लाल पत्थर निकलता है, जिसकी पूरे भारत की डिमांड रहती है
दान करने की परंपरा –
मकर संक्रांति के दिन दान करने का काफी ज्यादा महत्त्व माना जाता है। साथ ही तिल और गुड़ का भी दान इस दिन सबसे अच्छा और शुभ माना जाता हैं। लोग गरीबों को मकर संक्रांति के दिन गर्म कपड़े, गुड़ और खाने-पीने की चीजें दान देते हैं।