Train Accidents : पश्चिम बंगाल में हुई रेल दुर्घटना के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, कांग्रेस ने आज केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को भी घेरा, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि इस देश का रेल मंत्री रील मंत्री बना हुआ है, 15 मौतों के बाद भी कोई जवाबदेही नहीं हैं, रेल में यात्रा करने वाले आज डरे हुए हैं कि वो गंतव्य तक पहुंचेगा या उसकी अर्थी पहुंचेगी।
आज यात्री के मन में शंका रहती है कि गंतव्य तक वो पहुंचेगा या उसकी अर्थी
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि देश में लगभग हर व्यक्ति का रेल से जुड़ाव रहा है। लोगों की रेल से जुड़ी अपनी यादें रहीं हैं। क्योंकि रेल हिंदुस्तान की जीवन रेखा है। यह आवागमन का एक सस्ता साधन था और लोगों को विश्वास था कि वो गंतव्य तक पहुंच जाएंगे। लेकिन आज यात्री के मन में शंका रहती है कि गंतव्य तक वो पहुंचेगा या उसकी अर्थी। ये कीर्तिमान नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने स्थापित किया है।
पिछले 10 साल में 1,117 रेल दुर्घटनाएं हुईं
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि ठीक एक साल पहले जून 2023 में बालासोर रेल हादसे में 296 लोगों की मौत और 900 से ज़्यादा बुरी तरह घायल हुए। अब पश्चिम बंगाल में फिर एक रेल हादसा हुआ, जिसमें 15 लोगों की मौत और करीब 40 लोगों के घायल होने की खबर है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में 1,117 रेल दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें जान-माल का नुकसान हुआ। यानी हर महीने 11 हादसे हुए। हर 3 दिन में एक हादसा हुआ। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि एक साल में क्या बदला? सुप्रिया श्रीनेत ने 2014 के बाद के बड़े रेल हादसों की लिस्ट भी बताई
2014 के बाद से बड़े रेल हादसे
- 26 मई, 2014 : गोरखधाम एक्सप्रेस, 25 लोगों की मौत 50 से ज्यादा घायल
- 20 नवंबर: 2016 इंदौर -पटना एक्सप्रेस 150 लोगों की मौत 150 से ज्यादा लोग घायल
- 18 अगस्त 2017: पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस, 23 लोगों की मौत, 60 घायल
- 23 अगस्त 2017: कैफियत एक्सप्रेस, 70 लोग घायल
- 13 जनवरी 2022: बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस, 9 लोगों की मौत, 36 घायल
- 2 जून 2023 : बालासोर रेल हादसा, 296 लोगों की मौत, 900 से ज्यादा घायल
- 17 जून, 2024: कंचनजंगा एक्सप्रेस, 15 लोगों की मौत
अश्विनी वैष्णव पर तंज – ये रेल मंत्री नहीं रील मंत्री
कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि इस देश में पहले रेल हादसे की नैतिक जिम्मेदारी ली जाती थी, लेकिन आज हिंदुस्तान का रेल मंत्री ‘रील मंत्री’ बना हुआ है। किसी को कोई जवाबदेही नहीं है, रेल मंत्री कुछ वक्त पहले ‘कवच’ प्रणाली के फ़ायदे समझा रहे थे। कल हुए हादसे में कहां गया ‘कवच’? 10 साल में रेल आवागमन का सबसे असुरक्षित साधन बन चुका है, ऐसा इसलिए क्योंकि नरेंद्र मोदी और उनके मंत्री को कोई फर्क नहीं पड़ रहा।
रेलवे में खाली पड़े पदों का मुद्दा उठाया
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा- रेलवे में 3.12 लाख से ज्यादा पद खाली हैं। रेलवे में लोको पायलट के करीब 20.5% और सहायक लोको पायलट के 7.5% पद खाली हैं। लोको पायलट पर काम का दबाव होता है, जिसके चलते चूक होती है।
ट्रेनों की इतनी क़िल्लत है कि वित्तीय वर्ष 2022–23 में 2 करोड़ 70 लाख यात्री वेटिंग लिस्ट होने की वजह से यात्रा नहीं कर पाए।
रेल मंत्री कुछ वक्त पहले ‘कवच’ प्रणाली के फ़ायदे समझा रहे थे।
कल हुए हादसे में कहां गया ‘कवच’?
10 साल में रेल आवागमन का सबसे असुरक्षित साधन बन चुका है, ऐसा इसलिए क्योंकि नरेंद्र मोदी और उनके मंत्री को कोई फर्क नहीं पड़ रहा।
• रेलवे में 3.12 लाख से ज्यादा पद खाली हैं।
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ये 2014 के बाद से बड़े रेल हादसों की लिस्ट है-
• 26 मई, 2014
गोरखधाम एक्सप्रेस
25 लोगों की मौत 50 से ज्यादा घायल• 20 नवंबर, 2016
इंदौर-पटना एक्सप्रेस
150 लोगों की मौत 150 से ज्यादा लोग घायल• 18 अगस्त, 2017
पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस
23 लोगों की मौत, 60 घायल— Congress (@INCIndia) June 18, 2024