चीन बदल देगा दुनिया की तस्वीर! हाथ लग गया है ऊर्जा का खजाना, 60,000 साल तक की बिजली की टेंशन हो जाएगी खत्म?

कहते हैं, जिसके हाथ ऊर्जा लग जाए, वह दुनिया पर विजय पा सकता है। चीन के हाथ इस ऊर्जा का भंडार लग गया है। रिपोर्ट्स की मानें तो इससे 60,000 साल तक चीन की बिजली की टेंशन खत्म हो जाएगी। दरअसल, चीन के भूवैज्ञानिकों ने थोरियम का विशाल भंडार खोजा है।

Rishabh Namdev
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चीन के भूवैज्ञानिकों ने ऊर्जा के ऐसे भंडार को खोज निकाला है, जो चीन की 60,000 साल तक की बिजली संबंधी जरूरतों को पूरा कर सकता है। इस ऊर्जा के भंडार से चीन कई नई उपलब्धियां हासिल कर सकता है। हालांकि, इस ऊर्जा का सबसे बड़ा भंडार भारत के पास है। दुनिया में थोरियम का सबसे बड़ा भंडार भारत के पास है, और अब इस सूची में चीन भी शामिल हो गया है। दरअसल, चीन के भूवैज्ञानिकों ने देश में अब तक का सबसे बड़ा थोरियम भंडार खोजा है। इस थोरियम से चीन अपनी ऊर्जा खपत को पूरा कर सकता है।

चीन के एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में इसकी जानकारी सामने आई है। सर्वेक्षण के मुताबिक, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से बताया गया है कि चीन के हाथ लगा यह भंडार रेडियोधर्मी धातु के रूप में वैश्विक ऊर्जा उत्पादन में क्रांति ला सकता है। यह खोज जीवाश्म ईंधन पर दुनिया की निर्भरता को खत्म कर सकती है।

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थोरियम क्या होता है?

इसे समझने के लिए हमें सबसे पहले थोरियम को समझना होगा कि थोरियम क्या होता है? थोरियम चांदी के रंग की एक धातु है। इसका नाम स्कैंडिनेवियन देवता ‘थॉर’ के नाम पर रखा गया है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इससे उत्पन्न होने वाली ऊर्जा, यूरेनियम की तुलना में 200 गुना अधिक होती है। इससे यह साफ हो जाता है कि यह ऊर्जा से कितना समृद्ध है। इसके अलावा, यह पिघलता नहीं है और इसे ठंडा करने के लिए पानी की आवश्यकता भी नहीं होती। यूरेनियम के मुकाबले इसके रिएक्टर छोटे होते हैं। इसके अतिरिक्त, थोरियम रेडियोधर्मी अपशिष्ट भी कम मात्रा में छोड़ता है।

भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा भंडार

रिपोर्ट्स की मानें तो थोरियम का सबसे बड़ा भंडार भारत के पास है। भारत के पास मौजूद यह भंडार अमेरिका की घरेलू ऊर्जा जरूरतों को 1,000 से अधिक वर्षों तक पूरा कर सकता है। हालांकि, चीन में मिले इस भंडार का उपयोग करना चीन के लिए आसान नहीं रहेगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, पूरे चीन में 233 थोरियम भंडार की पहचान की गई है, जिन्हें पांच प्रमुख बेल्टों में बांटा गया है। दुर्लभ मृदा अयस्कों से थोरियम को अलग करना चीन के वैज्ञानिकों के लिए इतना आसान नहीं रहेगा। इसके लिए भारी मात्रा में एसिड और ऊर्जा की आवश्यकता होगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, एक ग्राम थोरियम को शुद्ध करने के लिए चीन को सैकड़ों लीटर अपशिष्ट जल की आवश्यकता पड़ेगी।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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