सदन में बोले जगदीप धनखड़, दिग्विजय जी, खरगे जी आपकी चुप्पी मेरे कानों में गूंज रही है

Atul Saxena
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Vice President Dhankhar insult : उप राष्ट्रपति/ राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के अपमान का मामला आज भी सदन में सुनाई दिया, उप राष्ट्रपति ने सदन में उपस्थित कांग्रेस के दो वरिष्ठ सदस्यों मल्लिकार्जुन खरगे और दिग्विजय सिंह को संबोधित करते हुए कहा – आप दोनों की चुप्पी मेरे कानों में गूंज रही है।

निलंबित टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा सदन के बाहर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री करना, उनका मजाक बनाना, राहुल गांधी द्वारा उसका वीडियो बनाना और वहां मौजूद विपक्षी सांसदों द्वारा जोर से ठहाका लगाने का मुद्दा आज संसद के उच्च सदन राज्यसभा में सुनाई दिया।

दिग्विजय सिंह और मल्लिकार्जुन खरगे से क्या बोले सभापति जगदीप धनखड़?

आज राज्य सभा की कार्यवाही शुरू हुई तो सदन में मौजूद कांग्रेस अध्यक्ष एवं सदन के वरिष्ठ सदस्य मल्लिकार्जुन खरगे एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं वरिष्ठ सदस्य दिग्विजय सिंह को संबोधित करते हुए सभापति धनखड़ भावुक हो गए, उन्होंने दिग्विजय की बातों को सुनने के बाद उसे रिकॉर्ड में नहीं लेने के निर्देश देते हुए कहा – आप अनुभवी नेता हैं, दिग्विजय ने टोका तो उन्होंने कहा – क्या आप मेरी बात, मेरी पीड़ा सुनना नहीं चाहते? आप कहते हो 138 साल पुरानी पार्टी हो, क्या हुआ है? आपको सब पता है, आपकी चुप्पी मेरे कानों में गूंज रही है, खरगे जी की चुप्पी मेरे कानों में गूंज रही है।

उप राष्ट्रपति ने क्यों कहा, पूरी आहुति दे दूंगा हवन में ?

धनखड़ ने कहा खरगे जी विपक्ष के नेता हैं कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, सबको पता है क्या कुछ हो रहा है, आपको अंदाजा होना चाहिए कि एक व्यक्ति वीडियोग्राफी कर आनंद लेता है एम्पलीफाई करता है, ये संस्कार हैं क्या आपके? यहाँ तक स्तर आ गया क्या? दिग्विजय सिंह जी मेरी बात को सुन लें जगदीप धनखड़ की कितनी भी बेइज्जती करो, मुझे चिंता नहीं है लेकिन भारत के उप राष्ट्रपति की, किसान समाज की, मेरे वर्ग(जाट समाज, ओबीसी वर्ग) की बेइज्जती सहन नहीं करूँगा, पूरी आहुति दे दूंगा हवन में।

पद की गरिमा को लेकर क्या चेतावनी दी उप राष्ट्रपति ने?

उप राष्ट्रपति ने कहा मैं खुद की परवाह नहीं करता, मेरी बेइज्जती कोई करता है मैं सहन करता हूँ, खून का घूंट पीता हूँ, पर मैं ये कभी बर्दाश्त नहीं करूँगा कि मैं अपने पद की गरिमा सुरक्षित नहीं रख पाया, इस सदन की गरिमा को सुरक्षित रखना मेरा काम है, पद की गरिमा बनाये रखना मेरा काम है और मैं हर कीमत पर इसे सुरक्षित करूँगा ।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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