Waqf Board Bill: संसद के मानसून सत्र में आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि आज वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस विधेयक में वक्फ बोर्डों के कामकाज में सुधार, पारदर्शिता बढ़ाने, और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से कई बदलाव और अधिकारों की कटौती का प्रावधान है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू आज सुबह 11 बजे इस विधेयक को लोकसभा में पेश करेंगे।
बिल को लेकर विवाद और विरोध जारी
आज लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल 2024 (Waqf Amendment Bill 2024) पेश किया जाएगा। इस बिल को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा प्रश्नकाल के बाद सदन में प्रस्तुत किया जाएगा। यह बिल पहले से ही विवादों में घिरा हुआ है और इसे लेकर विभिन्न संस्थाओं और नेताओं ने विरोध जताया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है। उनका मानना है कि वक्फ कानूनों में संशोधन से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। वहीं, सरकार का कहना है कि इस बिल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और सुधार लाना है, जिससे इन संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके। इस बिल पर चर्चा के दौरान विभिन्न पक्षों के विचार सामने आएंगे, जिससे इसके भविष्य का निर्धारण होगा।
1995 और 2013 के कानूनों में 40 बदलाव
वक्फ संशोधन बिल 2024 के तहत 1995 और 2013 के मौजूदा वक्फ कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव किए जा रहे हैं। इस बिल के माध्यम से 1995 के वक्फ कानून का नाम बदलकर “यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पॉवरमेंट, एफिसिएंशी एंड डेवलपमेंट एक्ट 1995” (Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency and Development Act 1995) रखा जाएगा। कुल मिलाकर, पुराने कानूनों में लगभग 40 प्रमुख बदलाव प्रस्तावित हैं।
बिल का उद्देश्य
यह बिल 1995 और 2013 के मौजूदा वक्फ कानूनों में व्यापक बदलाव लाने का प्रयास करता है। इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ बोर्डों के कामकाज में पारदर्शिता लाना, दक्षता बढ़ाना और वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन करना है। बिल के अनुसार, पिछले कानूनों के बावजूद वक्फ बोर्डों के प्रदर्शन में कोई खास सुधार नहीं हुआ है और वक्फ संपत्तियों के संचालन में पारदर्शिता की कमी है। इसके माध्यम से वक्फ संपत्तियों के संचालन में सुधार होगा और इन संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा। साथ ही, मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों के प्रतिनिधित्व से वक्फ बोर्डों का संचालन अधिक समावेशी और उत्तरदायी होगा।