गणतंत्र दिवस विशेष। आज से दो दिन बाद हम अपना 71वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं। ये संविधान लागू होने का, संविधान को अंगीकार करने का, संवैधानिक राष्ट्र के रूप में अपना अस्तित्व बनाने का पर्व है। डॉ भीमराव अंबेडकर ने दो साल ग्यारह महीने और अठारह दिन में संविधान तैयार कर इसे राष्ट्र को समर्पित किया था।
हम आज से लेकर अगले दो दिन तक अपनी गणतांत्रिक व्यवस्था को समझने का प्रयास करेंगे। भारत संसदीय प्रणाली वाला प्रभुताससंपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य है। लेकिन क्या आप गणतंत्र व प्रजातंत्र (लोकतंत्र-जनतंत्र) के बीच का अंतर जानते हैं ? आईये आज इसपर बात करते हैं…
गणतंत्र में संविधान सर्वोच्च होता है वहीं प्रजातंत्र में प्रजा या जनता, ये इसकी एक सरल व्याख्या हो सकती है। हम इस मायने में विशेष हैं कि हम गणतांत्रिक भी हैं और लोकतांत्रिक भी। यूरोप के कई देश जिनमें इंग्लैंड, नार्वे, मलेशिया, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन, जापान आदि डेमोक्रेटिक (प्रजातांत्रिक) देश हैं लेकिन रिपब्लिकन (गणतांत्रिक) नहीं। वहीं चीन, उत्तरी कोरिया, क्यूबा, रूस जैसे कई देश रिपब्लिकन (गणतांत्रिक) तो हैं लेकिन डेमोक्रेटिक (प्रजातांत्रिक) नहीं। रूस या चीन जैसे देशों में संविधान तो है लेकिन वे एकल पार्टी द्वारा शासित है इसलिये गणतंत्र होते हुए भी वहां प्रजातंत्र नहीं है। इंग्लैंड या कई खाड़ी देशों में अब भी राजशाही परंपरा लागू है, जहां एक सम्राट या रानी शासन व्यवस्था के प्रमुख होते हैं। जहां राजशाही है वहां गणतंत्र नहीं माना जाता, अत: ये देश लोकतांत्रिक तो है, लेकिन यहां गणतंत्र नहीं है। गणतंत्र में राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर व्यक्ति का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है मतलब वो निर्वाचित होता है जिस प्रकार भारत व अमेरिका में राष्ट्रपति का निर्वाचन होता है। गणतंत्र में बहुमत द्वारा चुनी गई सरकार के अधिकार संविधान द्वारा तय किये जाते हैं। संविधान के तीन प्रमुख अंग हैं कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका। ये तीनों पृथक रूप से अधिकारसंपन्न हैं और एक दूसरे के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करते। अच्छी बात ये है कि हमारे यहां बहुमत को नहीं, संविधान को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है, इसलिये यहां अल्पमत या अल्पसंख्यकों को भी सभी मूलभूत अधिकार प्राप्त हैं। धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान की एक और विशिष्ट बात है, ईरान व पाकिस्तान में भी गणतंत्र है लेकिन वहां धर्म विशेष को मान्यता दी गई है इसलिये वो इस्लामिक गणतंत्र हैं। लेकिन हमारे देश में समाज को धर्म या पूंजी के आधार पर किसी तरह विभाजित नहीं किया गया है इसीलिये समाजवाद भी हमारे संविधान का महत्वपूर्ण अंग है।
इस तरह हम एक बेहद संतुलित व अत्यंत विचारशीलता से तैयार किये गए संविधान को अंगीकार करने वाले देश बने हैं। तो आईये इस लोकतांत्रिक, सम्प्रभु गणतंत्र राष्ट्र का वासी होने का गौरव मनाएं और अपने देश को कुछ और बेहतर बनाने में योगदान करें।