भारतीय रेलवे में कितनी होती है ट्रेनों की लाइफ, फिर डिब्बों का होता है ये इस्तेमाल

आज हम आपको यह बताएंगे कि एक ट्रेन की लाइफ कितनी होती है और यह कितने सालों तक चलती है? उसके अलावा, यात्री कोच की लाइफ खत्म होने के बाद उसका क्या होता है।

भारतीय रेलवे (Indian Railways) विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जिसका इतिहास काफी रोचक रहा है। शुरुआती दिनों में इसे केवल माल ढोने के लिए संचालित किया गया था, लेकिन धीरे-धीरे इसका विस्तार किया गया और यह यात्रियों के लिए आरामदायक व किफायती माध्यम बन गया। इसमें हर वर्ग के लोग सफर करते हैं। भारत में एक दिन में लगभग 1300 से भी अधिक ट्रेनें संचालित की जाती हैं। यह एक ऐसा माध्यम है, जिसमें अमूमन हर आम आदमी सफर करता है। देश के मुख्य साधनों में से एक माना जाने वाला ट्रेन छोटे रूट से लेकर लॉन्ग रूट में ट्रैवल करने के लिए बहुत ही अच्छा है। ट्रेन की टिकट हर आदमी के लेकर पार्टी होता है, इसलिए हर व्यक्ति की पहली पसंद ट्रेन ही है। लंबी यात्रा के लिए लोग अक्सर भारत में ट्रेन को ही चुनते हैं।

यात्रियों की सुविधा को देखते हुए भारतीय रेलवे द्वारा आए दिन नियमों में तरह-तरह के बदलाव किए जाते हैं, जिससे उन्हें कम खर्चे में अच्छी सुविधा मिल सके। आजकल लोगों को खाना लेकर जाने की समस्या नहीं होती, क्योंकि यह सारी सुविधा ट्रेन में उपलब्ध करा दी जाती है।

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कितने साल तक चलती है एक ट्रेन

भारतीय रेलवे से जुड़े बहुत सारे फैक्ट्स हैं, जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं होती है। ऐसे में आज हम आपको यह बताएंगे कि एक ट्रेन की लाइफ कितनी होती है और यह कितने सालों तक चलती है? उसके अलावा, यात्री कोच की लाइफ खत्म होने के बाद उसका क्या होता है। इसके बारे में पता होना सामान्य ज्ञान के लिए हाथ से भी जरूरी है। अक्सर इस प्रकार के सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछ लिए जाते हैं।

कोच की लाइफ

दरअसल, भारतीय रेलवे में चलने वाली ICF कोच की लाइफ 25 से 30 साल की होती है। मतलब एक ट्रेन अधिकतम 25 साल तक सेवा दे सकता है। बता दें कि हर 5 से 10 साल के भीतर यात्री कोच की मेंटेनेंस होती है, जिसमें टूटी-फूटी और पुरानी चीजों को रिप्लेस किया जाता है। जब यात्री कोच को लगभग 25 साल हो चुका होता है, तो उसे ऑटो करियर में बदल दिया जाता है।

बाद में इस तरह किया जाता है इस्तेमाल

यात्री कोच को NMG कोच में बदलने के बाद 5 से 10 साल तक के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उसके बाद, इनका उपयोग केवल एक राज्य से दूसरे राज्य में माल ले जाने के लिए किया जाता है। NMG कोच बनने के लिए इसे पूरी तरह से सील कर दिया जाता है। साथ ही इसके अंदर मौजूद सीट, पंखे और लाइट को हटा दिए जाते हैं। इसके अलावा, खिड़की, दरवाजे सब बंद कर दिए जाते हैं। साथ ही लोहे की पत्तियां लगाई जाती है, ताकि ट्रेन की मजबूती कायम रहे ट्रेन को इस तरह से रिपेयर कर दिया जाता है, जिससे वह आसानी से कार, मिनी ट्रक, ट्रैक्टर जैसी चीजों को लोड कर ले जा सके।


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Sanjucta Pandit

Sanjucta Pandit

मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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