The Kashmir Files के ट्रेंड होने के साथ ही बिट्टा का एक Interview भी Viral हो रहा है। जिसमें बिट्टा खुद अपनी हैवानियत की कहानी बता रहा है। बिट्टा को ये कहने से भी गुरेज नहीं है कि उस वक्त अगर खुद की मां का कत्ल करने का भी हुक्म आता तो वो पीछे नहीं हटता। कश्मीर को आजाद कराने का जुनून कुछ इस कदर हावी था।
बेरहमी से किया पक्के दोस्त का कत्ल
कश्मीरी पंडितों की कत्ल का सिलसिला बिट्टा ने अपने पक्के दोस्त के खून से ही शुरू किया। अपनी घिनौनी करतूतों को बेहिचक बयां करते हुए बिट्टा ने ही एक इंटरव्यू में ये खुलासा किया था कि कैसे उसने अपने दोस्त 22 वर्षीय कश्मीरी पंडित सतीश कुमार टिक्कू की हत्या कि और सरेआम मासूमों के कत्लेआम का सिलसिला शुरू किया। उसने कहा, ” मुझे आदेश मिला था और मैंने सतीश को मार दिया।”
एक कश्मीरी पत्रकार राहुल पंडित के अनुसार वो 8 फरवरी 1990 का दिन था। बिट्टा हमेशा की तरह अपने दोस्त सतीश के घर पहुंचा। लेकिन इस बार दोस्ती निभाने नहीं बल्कि उसके कत्ल के इरादे से। उस वक्त सतीश की बहन को कुछ अंदेशा हुआ और उसने बिट्टा से झूठ बोल दिया कि सतीश घर पर नहीं है। पर बिट्टा तो उस दिन अपने दोस्त के खून का प्यासा बना बैठा था।
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वो घर के बाहर ही सतीश के निकलने का इंतजार करने लगा। पिता के पास जाने के लिए सतीश जैसे हीघर से निकला बिट्टा ने उस पर गोलियों से हमला कर दिया. पहली गोली बिट्टा के दोस्त सतीश का जबड़ा चीरती हुई निकल गई. पर बिट्टा का दिल नहीं भरा वो तब तक सतीश पर गोलियां बरसाता रहा, जब तक उसकी जान नहीं निकल गई। सतीश वही दोस्त था। जिसके साथ बिट्टा स्कूटर पर कश्मीर की वादियों की सेर किया करता था।
POK जाकर ली थी ट्रेनिंग
अपने बेरहम कारनामों को जस्टिफाई करने के लिए बिट्टा कश्मीर के तत्कालीन प्रशासन को जिम्मेदार ठहराता है। बिट्टा का कहना है कि कश्मीरियों पर स्थानीय प्रशासन ने जो जुल्म ढाए उसका बदला लेने के लिए उसने आतंकवाद का रास्ता चुना। इस रास्ते पर चलने के लिए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 32 दिन बकायदा उसकी ट्रेनिंग भी हुई।
कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के एरिया कमांडर इशफाक मजीद वानी ने उसे ट्रेनिंग दी थी। जिसके इशारे पर वो हैवानियत का खेल खेलता रहा। बिट्टा आम लोगों पर हमला करने के लिए हमेशा पिस्टल का इस्तेमाल करता था, जबकि एक 47 से कई बार सुरक्षा बलों पर हमला किया। बिट्टा ने एक बार अपने सारे जुर्म कबूल कर लिए थे। लेकिन बाद में वो अपने बयान से मुकर गया। जिस वजह से उसे सजा नहीं हो सकी। फिलहाल बिट्टा जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का जिम्मा संभाल रहा है।