क्यों सिन्धिया के इस काम पर लोग कह रहे,वाह महाराज।

Gaurav Sharma
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नई दिल्ली, गौरव शर्मा। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उस समय लोगों का दिल जीत लिया जब उन्होने एक बुजुर्ग को व्हीलचेयर की मदद से गंतव्य तक पहुंचाने में मदद की। सोशल मीडिया पर सिंधिया का यह सज्जन रूप जमकर वायरल हो रहा है।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को एक बुजुर्ग सज्जन की मदद की जो जयपुर से कोलकाता के लिए उसी उड़ान में सवार थे जिससे सिंधिया जा रहे थे। बुजुर्ग को व्हीलचेयर की मदद से प्लेन तक ले जाते सिंधिया के फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं। जयपुर एयरपोर्ट के ट्विटर हैंडल पर लिखा गया है “एक सच्चे सज्जन की निशानी।

माननीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गर्मजोशी व दया का परिचय दिया जब वह व्हीलचेयर पर एक बुजुर्ग सज्जन की मदद के लिए पहुंचे जो जयपुर से कोलकाता के लिए उसी उड़ान में सवार थे। सोशल मीडिया पर लिखा गया ‘जय हो महाराज, प्राउड ऑफ यू’ (Jai Ho Maharaj So Proud Of You)। एक अन्य प्रशंसक ने लिखा महाराज सच ए हंबल परसन ही इज (Maharaj Such a humble person he is)। एक अन्य प्रशंसक ने लिखा ‘कितनी बार दिल जीतोगे महाराज। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Airport Authority of India) ने भी सिंधिया के इस मानवीय कार्य को ट्वीट किया है। यह पहला मौका नहीं जब सिंधिया ने इस तरह से मानवीय मदद के उदाहरण पेश किए हो और यही वजह है कि आज भी सिंधिया के चाहने वाले उन्हें महाराज कहते ही नहीं, दिल से मानते भी हैं।

Pic Courtesy : Jaipur International Airport


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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