हरियाणा (Haryana) राज्य के निजी अस्पताल में 3 फरवरी से पूरे प्रदेश में आयुषमान भारत योजना के अंतर्गत इलाज करवाने पहुंचने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वजह है, निजी अस्पतालों द्वारा आयुष्मान भारत के भुगतान में देरी। यह फैसला हरियाणा की IMA यूनिट द्वारा किया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार हरियाणा के कुल 1300 अस्पतालों में से 600 निजी अस्पतालों के संगठन ने यह फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि भुगतान में देरी होती जा रही है जिस वजह से मैनेजमेंट में परेशानी आ रही है.
धन के बिना अस्पतालों का संचालन करना असंभव
भुगतान में देरी के कारण अस्पतालों को अपने खर्चों का मैनेजमेंट करना मुश्किल हो गया है. गुड़गाँव के एक लिस्टेड अस्पताल के डॉक्टर ने रविवार को बताया कि आवश्यक धन के बिना अस्पतालों का संचालन करना बेहद मुश्किल हो गया है. प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया बहुत धीमी हो गई है और नए बिल लगातार जमा होते जा रहे हैं. इसके कारण अस्पतालों को चलाना मुश्किल हो गया है. अस्पताल प्रशासन ने सरकार से तुरंत भुगतान करने की अपील की है, क्योंकि यह स्थिति अस्पतालों को गंभीर आर्थिक संकट में डाल रही है.
आयुष्मान भारत योजना से क्या लाभ होता है
आयुष्मान भारत योजना जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने 2018 में शुरू किया था, देश के 1.2 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ दे रही ये योजना. आपको बता दें, इस योजना के तहत प्रति परिवार को पाँच लाख रुपये तक की मुफ़्त स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती है. जिसमें नियमित चेकअप से लेकर सर्जरी तक शामिल है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन परिवारों को मदद देना है जिनकी वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है, इसके अलावा बुजुर्गों को भी अन्य मानदंडों के तहत इसका लाभ मिल सकता है. लेकिन अब राज्य सरकार से लंबित भुगतान के कारण ये सेवाएँ बंद करने का ऐलान किया गया है.
आयुष्मान कमेटी के सदस्य ने कही ये बात
आयुष्मान कमेटी के चेयरमैन डॉ. सुरेश अरोड़ा ने कहा है कि अगर सरकार ने जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया, तो सभी आयुष्मान अस्पतालों को अपनी सेवाएँ बंद करनी पड़ सकती है. अस्पतालों ने प्रधान को इस बारे में सूचित करते हुए हस्ताक्षर किए हैं और भविष्य में कोई भी फ़ैसला लेने का अधिकार रखा है.
इतना ही नहीं डॉ. अरोड़ा ने यह भी बताया कि हरियाणा का एक दल IMA हरियाणा के नेतृत्व में, कई बार आयुष्मान अधिकारियों से मिल चुका है और अपनी समस्याओं के बारे में भी बातचीत कर चुका है. लेकिन अभी तक कोई भी ठोस क़दम नहीं उठाए गए हैं. यही कारण है कि अब अस्पतालों को आयुष्मान मरीज़ों को सेवाएँ देने में मुश्किल आ रही है और अब इन सेवाओं को बंद कर दिया जाएगा.