World Environment Day 2022 : विश्व पर्यावरण दिवस पर लें पर्यावरण संरक्षण का संकल्प, जानिये ये जरूरी बातें

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day 2022) है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 5 जून को ये खास दिन मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस 2022 की थीम “ओनली वन अर्थ” (only one earth) है इसका मतलब है जिसका मतलब “केवल एक पृथ्वी”। 5 जून 1972 को संयुक्त राष्ट्र ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरूआत की थी।

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इस बार हम 49वां विश्व पर्यावरण दिवस मना रहे हैं और इसकी जिसकी मेजबानी स्वीडन कर रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते खतरे के बीच इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। समय के साथ जैसे जैसे हमने तरकक्की की, कहीं न कहीं पर्यावरण के प्रति लापरवाह होते गए। दुनियाभर में मशीनीकरण और प्लास्टिक के उपयोग का एक बड़ा दुष्प्रभाव ये पड़ा है कि हर तरह का प्रदूषण बढ़ रहा है और इसका सीधा असर प्रकृति और मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने और अपील करने के लिए आज के दिन दुनियाभर में तरह तरह के आयोजन होते हैं।

हमारा कर्तव्य है कि हम प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखें, लेकिन स्थितियां इसके विपरीत हैं। सुविधाभोगी और मशीनीकरण वाले जीवन में हम अक्सर ही कुदरत के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। नदियों, समुद्र, जंगलों में प्लास्टिक वेस्ट का अंबार लग चुका है। कार, एयर कंडीशनर, फ्रिज, फैक्ट्री आदि से निकलने वाली गैस और अन्य वेस्ट से वायु जल प्रदूषण में बढ़ोत्तरी हो रही है। ओज़ोन लेयर लगातार क्षतिग्रस्त हो रही है। और इन्हीं सब लापरवाहियों का नतीजा है ग्लोबल वॉर्मिंग (Global warming) और तरह तरह की अन्य बीमारियां। एक रिपोर्ट के मुताबिक मुताबिक हर रोज दुनिया में करीब 27 हजार पेड़ काटे जा रहे हैं। हमारी धरती पर 71% पानी है लेकिन इसमें से सिर्फ 1% पानी ऐसा है जिसका मनुष्य इस्तेमाल कर सकता है। समुद्री जीवों की स्थिति भी बुरी है, करीब 78% समुद्री जीवों को प्लास्टिक से दम घुटने का खतरा है। बता दें कि एक प्लास्टिक के बोतल को नष्ट होने में 70 से 450 साल लग सकते हैं। प्लास्टिक बैग को 500 से 1000 और टिन कैन साल को 50 साल लग सकते हैं। इस सबके बाद भी पर भी हम न संभले तो भविष्य में स्थिति बहुत खराब हो सकती है। प्राकृतिक असंतुलत और पर्यावरण प्रदूषण का नतीजा बेहद भयावह हो सकता है। इसीलिए हमें सबक लेते हुए अपने आसपास के वातारवरण को यथासंभव स्वच्छ और सुरक्षित रखना चाहिए, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए, नदियों को साफ रखना चाहिए और प्रकृति व पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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