पिता की रिहाई के लिए पुलिस की कार पर सिर पटकती रही मासूम, सीएम ने लिया संज्ञान, देखें वीडियो

Gaurav Sharma
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उत्तर प्रदेश, डेस्क रिपोर्ट। आज पूरा देश दिवाली की रोशनी में डूबा हुआ है। इस साल की दीपावली हर साल की दिवाली से थोड़ी अलग है, क्योंकि इस साल दिवाली कोरोनाकाल वाली है। कोरोना के मद्देनजर और वायु प्रदूषण को देखते हुए देश के लगभग सभी राज्यों में पटाखे बेचने और जलाने पर बैन लगा दिया गया है। लेकिन इसी बीच एक मामला उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से आया है जहां पुलिस के अमानवीय और मानवीय दोनों चहरे सामने आए हैं।

पुलिस का अमानवीय चेहरा

दरअसल, बढ़ते हुए वायु प्रदूषण के स्तर को देखते हुए एनजीटी ने पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन इसके बाद भी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में कुछ पटाखा विक्रेता सरेआम पटाखे बेचते नजर आ रहे हैं। वहीं जब पटाखे ब्रिकी की खबर पुलिस को लगी तो खुर्जा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 6 दुकानदारों को गिरफ्तार किया और उनके पटाखे जब्त कर लिए। इसी कड़ी में एक पटाखा विक्रेता की बेटी अपने पिता को छुड़ाने के लिए गुहार लगाती रही पर पुलिस ने उसकी एक ना सुनी। बच्ची पुलिस की गाड़ी में अपना सिर पीट-पीटकर अपने पिता को रिहा करने की गुहार लगाती रही पर पुलिस ने उसे हटा दिया और दुकानदार को लेकर चले गए। वहीं किसी ने पूरी घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

https://twitter.com/mpbreakingnews/status/1327509483434643456

 

सीएम योगी ने लिया एक्शन

वहीं सीएम योगी को घटना की जानकारी लगते ही उन्होंने दोषी पुलिस कर्मी के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया। जिसके बाद खुर्जा के एसडीएम और सीओ ने पीड़ित बच्ची के घर जाकर उसके साथ दिवाली मनाई और उसे अपने हाथों से मिठाई खिलाई और बच्ची के मन से पुलिस के प्रति नकारात्मक भाव को दूर करने का प्रयास किया।

पुलिस का मानवीय चेहरा

वहीं पूरे मामले को लेकर खुर्जा के क्षेत्राधिकारी ने कहा कि बच्ची की हालत देखकर हमें बहुत दुख हुआ और हमें हमारी गलती का एहसास हुआ।वहीं इस पूरे घटनाक्रम पर सीएम योगी के मीडिया एडवाइजर शलभ मणि त्रिपाठी ने ट्विटर के जरिए बताया कि ‘माननीय मुख्यमंत्री योगी जी ने बुलंदशहर की घटना को बेहद संवेदनशीलता से लेते हुए ना सिर्फ पटाखा कारोबारी को तत्काल रिहा कराया बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों के हाथों उनके व उनकी मासूम बेटी के लिए दीपावली के उपहार व मिठाइयां भी भिजवाईं, दोषी पुलिसकर्मी के खिलाफ सख़्त कार्रवाई की गई है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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