जुगाड़ की बिजली कर रही घरों को रोशन, हो सकता है बड़ा हादसा

Gaurav Sharma
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मंदसौर, राकेश धनोतिया। आधुनिकता के इस दौर में बिजली सिर्फ एक साधन नहीं, बल्कि दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुकी है। सरकार ने भी अब इसकी महत्ता को समझते हुए 24 घंटे बिजली देने की कवायद शुरू कर दी है। स्थिति यह है कि बिजली आपूर्ति में सुधार के साथ-साथ घर-घर बिजली पहुंचाने का कार्य भी तेज गति से जारी है।

लेकिन सुधार के दावों एवं सुविधाओं की घोषणाओं के बीच अभी कई ऐसी समस्याएं हैं जो सुरसा की तरफ मुहं खोले खड़ी है। विद्युतीकरण की होड़ में जहां विभाग की नजर नए सिरे से विद्युतीकरण तक टिकी हुई है। वहीं दूसरी तरफ दशकों से जर्जर पड़े तार और खंबे आड़े तिरछे होकर टूटने की कगार पर हैं। इन जुगाड़ के सहारे की जा रही बिजली की आपूर्ति से आए दिन हो रहे हादसे को लेकर विभाग का रवैया उदासीन देखा जा रहा है।

बिजली विभाग की लचर कार्यप्रणाली के चलते गरोठ तहसील के कई गांवों में ढीली झुकी नंगी तार कई बार दुर्घटनाओं का कारण बनती हैं। गर्मियों के दौरान जरा सी हवा चलने पर आपस में टकराने के बाद निकलने वाली चिगारी से गेहूं एवं अन्य फसलों के साथ-साथ गायों के चारे को भारी नुकसान पहुंचता है। इस दौरान कई बार तो भंयकर अग्निकांड हो जाते हैं,  जिसमें  किसानों की खड़ी और कटी फसल बर्बाद हो जाती है। अन्नदाता की मेहनत की फसल पल भर में जलकर खाक हो जाती है।

कई गांवों के खेतों से ऊपर गुजरने वाले ढीले तारों को स्थानीय किसान अपनी जान की परवाह किए बिना खुद जुगाड़ लगाकर उसे ऊंचा कर देते हैं।हालांकि विभाग को बार- बार स्थानीय लोग इस समस्या से अवगत कराते हैं, लेकिन विभाग के अधिकारी इस तरफ आंखें मूंदे बैठ जाते हैं।

विभाग की इस तरह की लापरवाही कई गावों में नजर आती है कही सीमेंट के विद्युत पोल भी टूटने जैसे हो गए है और कई गांवो में पहले भी कई हादसे हो चुके है और ग्रामीणों ने क़ई बार शिकायत भी की है पर जिम्मेदारों की अभी भी नींद नही खुली है। लगता है फिर हादसों का इंतजार कर रहे है।

ग्रामीण क्षेत्रों में तो सूत्रों की माने तो जुगाड़ से ही बिजली कई लोगों के घरों तक पहुंच रही है,  खेतों से होती हुए बिजली के तार गांव- गांव पहुंच रहे है पर खेतों में बिजली के तार निचे लटकते हुए किसानों की चिंता बढ़ाते है, जो किसान कोई फसल अपनी लगाए और बिजली तार टूट जाये या फॉल्ट होने से किसान की फसले जल कर खाक हो जाती है, वही कही जगह पर जुगाड़ के  लिए तार पर पत्थर लटका – लटका कर काम चलाया जा रहा है,  जिम्मेदारों को चाहिए की इस और ध्यान दे

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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