आरक्षकों ने पेश की ईमानदारी की मिसाल, सड़क पर मिला बैग थाने पहुंचाया, बैग देख दंपति हुए भावुक

Gaurav Sharma
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। पुलिस का नाम आते ही आम तौर पर भृष्ट, घूसखोर, अभद्र व्यवहार करने वाली छवि सामने आती है लेकिन ये सिक्के का एक पहलू है जो दिखाई देता है लेकिन ये पूरी तरह सच भी नहीं होता। लेकिन पुलिस का एक दूसरा पहलू भी है जो आज दिखाई दिया। ये दूसरा पहलू है ईमानदारी जिसका परिचय ग्वालियर पुलिस के दो आरक्षकों ने रविवार को देकर एक मिसाल पेश की है।

थाना झांसी रोड टी आई नीरज त्यागी के मुताबिक अहमदनगर महाराष्ट्र के रहने वाले डॉ पति पत्नी डॉ सागर और डॉ योगिता दिल्ली एम्स में जॉब करते हैं। वे महाराष्ट्र से दिल्ली जा रहे थे। विक्की फैक्ट्री तिराहे पर उन्होंने अपनी गाड़ी का गेट खोलकर दिल्ली जाने का रास्ता पूछा। इसी दौरान उनका लेडीज बैग सड़क पर गिर गया। जो तिराहे पर तैनात आरक्षक दीपक चतुर्वेदी और विभोर रावत को मिला। उन्होंने पर्स खोलकर देखा तो उसमें जेवर, नगदी और कुछ कागजात थे। दोनों आरक्षकों ने ईमानदारी का परिचय देते हुए बैग को झांसी रोड थाने में जमा करा दिया।

बैग गिरने से अंजान डॉ दंपति ग्वालियर से निकलकर जैसे ही बामौर के पास पहुंचे तो उन्होंने मोबाइल चार्ज करने के लिए बैग ढूंढा लेकिन जब उन्हें बैग नहीं मिला तो उनके होश उड़ गए। वे वापस ग्वालियर की तरफ आये और उन्होंने हजीरा थाने में रिपोर्ट लिखवाई लेकिन चूंकि झांसी रोड थाना पुलिस एक बैग मिलने की सूचना पहले ही पुलिस सेट पर चलवा चुकी थी जिसके आधार पर डॉ दंपति झांसी रोड थाने पहुंचे।

उन्होंने जैसे ही अपना बैग देखा दोनो भावुक हो गए। फिर दोनों आरक्षकों ने उन्हें उनका बैग लौटा दिया। बैग में करीब तीन से चार लाख के सोने के जेवर, 25,000 रुपये नगद, घर की चाबियाँ और जरूरी कागज रखे थे। उन्होंने मप्र पुलिस की ईमानदारी की तारीफ करते हुए ग्वालियर पुलिस को धन्यवाद दिया। टी आई त्यागी ने कहा कि दोनो आरक्षकों ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है इसलिए दोनो कीए लिए वे कैश रिवार्ड की सिफारिश करेंगे।

आरक्षकों ने पेश की ईमानदारी की मिसाल, सड़क पर मिला बैग थाने पहुंचाया, बैग देख दंपति हुए भावुक


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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