भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। साल 2020 अपने अंत की तरफ है। साल का आखिरी सूर्य ग्रहण (solar eclipse) भी सोमवार यानी कल लगना है। यह सूर्य ग्रहण (solar eclipse) करीब 5 घंटे 20 मिनिट लंबा होगा। यह सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और जेस्ट नक्षत्र में लगेगा। साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण (solar eclipse) 21 जून को पड़ा था, इस साल करीब 6 ग्रहण लगने थे जिसमें से दो सूर्य ग्रहण हैं और चार चंद्र ग्रहण लगने थे। सभी चंद्र ग्रहण और एक सूर्य ग्रहण लग चुका है, वही एक सूर्य ग्रहण (solar eclipse) कल लगना बाकी है।
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण सोमवार यानी कि 14 दिसंबर और 15 दिसंबर को लगेगा, इससे पहले 30 नवंबर को चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse) लगा था, लेकिन दिल्ली एनसीआर (Delhi-NCR) के साथ ही भारत में कहीं भी नहीं दिखाई दिया था। इसी की तरह 14 और 15 दिसंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) भारत में नहीं दिखाई देगा, क्योंकि भारतीय समय के मुताबिक 14 दिसंबर की रात को सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) लगेगा। दिल्ली एनसीआर समेत पूरे देश में कहीं भी यह देखा नहीं जा सकेगा। ज्योतिषियों की माने तो सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को शाम 7 बज के 3 मिनट पर शुरू होगा और रात 12 बज के 23 मिनट तक करीब 5 घंटे 20 मिनट तक चलेगा।
सोमवार को लगने वाला सूर्य ग्रहण साउथ अफ्रीका , दक्षिण अमेरिका और प्रशांत महानगर के कुछ हिस्सों में ही दिखाई देगा। इसके अलावा कतर, सुमात्रा, सऊदी अरब, मलेशिया, सिंगापुर, ओमान, नॉर्थ मरिना आईलैंड, श्रीलंका में दिखाई देगा। भारत में सूर्य ग्रहण नहीं दिखने के चलते सूतक काल मान्य नहीं होगा।
क्या होता है सूतक काल
सूतक काल का समय पुराणों के हिसाब से ऐसा समय होता है जब प्रकृति अधिक संवेदनशील हो जाती है। यह खराब समय माना जाता है। ऐसे समय में अनहोनी की आशंका बढ़ जाती हैं। सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण दोनों के दौरान सूतक लगता है, जिसमें बच्चे के जन्म के बाद घर के सभी सदस्यों को सूतक की स्थिति में घर में रहने की हिदायत दी जाती है। सूतक काल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है, इसके साथ ही सूतक काल में मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। बताया जाता है कि ग्रहण के समय शोर मचाना, खाना-पीना या किसी प्रकार का शुभ कार्य जैसे पूजा पाठ नहीं किया जाता है।
इस दौरान लोग गुरु मंत्र का जाप या किसी मंत्र की सिद्धि जैसे कि रामायण, सुंदरकांड का पाठ तंत्र सिद्धि आदि कर सकते हैं। सूतक काल लगने के बाद से ही गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी जाती है। सूर्य से निकलने वाली किरणें गर्भस्थ शिशु के लिए हानिकारक मानी जाती हैं। बता दें कि ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करके पूरे घर का शुद्धिकरण किया जाता है। मान्यता के अनुसार सूतक काल लगने से पहले घर में रखी सभी वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डाले जाते हैं और अगर आपके घर में मंदिर है तो सूतक काल लगने से पहले कपाट बंद कर दें या फिर मंदिर को पर्दे से ढक दें। माना जाता है कि सूर्य ग्रहण होने के बाद मन को शुद्ध करने के लिए दान पुण्य भी किया जाता है। साल का यह आखिरी सूर्य ग्रहण होने के चलते इस पर ज्योतिषियों के साथ खगोलशास्त्री भी खास नजर बनाएं रखेगें।