करवा चौथ व्रत के बीच बोरवेल में गिरे बच्चे को बचाने में जुटी IPS अधिकारी, कायल हुए IPS पति

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। देश भर में बुधवार को करवा चौथ (karwa chauth) का त्योहार धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए कठोर उपवास कर उनकी सलामती की दुआएं की। पतियों ने भी पत्नियों को पसंदीदा तोहफे देकर प्रेम व्यक्त किया। इसी बीच एक पति ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी पत्नी द्वारा रखे गए कठोर उपवास को लेकर अपनी भावनाएं प्रकट की है। दरअसल, दोनों पति-पत्नी आईपीएस अधिकारी (IPS officer) हैं। करवा चौथ के व्रत पर उपवास करने के बावजूद जैसे ही इस महिला अधिकारी को पता चला कि एक मासूम बच्चा बोरवेल में गिर गया है, वो बिना कुछ सोचे तुरंत मौके पर पहुंच गईं और अपनी ड्यूटी में लग गई।

आईपीएस अधिकारी नरेंद्र सिंह (IPS Narendra singh) ने अपनी पत्नी वाहनी सिंह (IPS Vahani singh) द्वारा उनके लिए रखे गए उपवास को लेकर ना सिर्फ उनका शुक्रियां अदा किया, बल्कि अपनी पत्नी के काम के प्रति प्रेम, कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी की भी सराहना भी की है। दरअसल आईपीएस अधिकारी वाहनी सिंह, पृथ्वीपुर में बोरवेल (borewell) में गिरे मासूम प्रह्लाद (prahlad) को बचाने की ड्यूटी में लगी रहीं और इस बीच व्रत करने के बावजूद उन्होने अपने कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ा।

इसे लेकर उनके पति और आईपीएस अधिकारी नरेंद्र सिंह ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा  है “कल करवा चौथ था और मेरा जन्मदिन भी, बड़े दिनों के बाद मुश्किल से छुट्टी लेकर पुलिसिया शोर से दूर अपनी भार्या को समय देने आया था। पर नियति कहां सुनती है। सुबह सुबह सूचना लगी कि एक मासूम बच्चा पृथ्वीपुर में बोरवेल में 200 फीट निचे चला गया। आगे ऑफिसर लिखते है कि बच्चें के बोरवेल में गिरने की खबर लगते ही श्रीमति जी तुरंत बिना सोचे समझे मासूम को बचाने के लिए निकल गई।” इस तरह एक पति ने अपनी पत्नी की कर्तव्यनिष्ठा और प्रेम को लेकर भावुक पोस्ट लिखी है, जो यकिनन पत्नी के लिए करवा चौथ का एक अनमोल गिफ्ट है।

उन्होने आगे लिखा है “बीते 32 घंटों से लगातार बचाव कार्य जारी है, हम सब उस मासूम के जीवन के लिए प्रार्थना कर रहे हैं परंतु इस सब के बीच याद ही नहीं रहा कि पत्नी ने करवा चौथ का व्रत रखा है, कई बार कहा कि आज व्रत मत करो पर मेरी एक ना सुनी गई। जब याद आया तो रात के 9 बजने को थे। आनन फानन में सड़क किनारे उनका व्रत चांद दिखा कर बोतल से पानी पिलाकर खुलवाया। मिन्नतें कर के कुछ खाना खिलाया और वो फिर लग गई अपने काम में। शायद ही किसी संस्कृति में ऐसा देखने को मिलता है कि एक स्त्री इतने कठोर नियमों का पालन करती हो, परंतु नारी यदि ठान ले तो क्या नहीं कर सकती। किस्सा छोटा सा है पर बात बहुत बड़ी है।  मैं उन सभी नारियों को कोटि कोटि नमन करता हूं जो अपने कर्तव्य के प्रति कृतसंकल्प हैं। बचाव कार्य अभी जारी है, उस मासूम के लिए प्रार्थना जरूर करते रहिए।” बता दें कि दपंत्ति आईपीएस ऑफिसर है और दोनों ही जयपुर राजस्थान के रहने वाले हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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