Agriculture bill से आदिवासियों को होगा नुकसान, आने वाली पीढ़ी भी होगी परेशान : विधायक मुकेश पटेल

आलीराजपुर, यतेन्द्रसिंह सोलंकी। केंद्र सरकार (central Government) द्वारा पारित कृषि बिल (Agriculture bill) से आदिवासियों का नुकसान होगा, आने वाली पीढ़ी को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। सरकार निजीकरण के नाम पर जनता का अहित कर रही है। वहीं टैक्स की लूटनीति के कारण आम लोगों को महंगे दामों पर पेट्रोल व डीजल खरीदना पड़ रहा है। सरकार और पेट्रोलियम कंपनियों ने कोरोनाकाल में करीब 25 हजार करोड़ रूपए कमा लिए। जबकि कच्चे तेल की कीमतों में हुई कमी का लाभ देश की आम जनता को दिया जाना चाहिए था। लेकिन सरकार टैक्स की लूटनीति अपनाकर मुनाफावसूली में मशगूल रही। ये बात विधायक मुकेश पटेल ने ग्राम उमरठ में माध्यमिक स्कूल भवन के भूमिपूजन कार्यक्रम से पहले ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कही।

विधायक पटेल ने कहा कि सरकार आदिवासी की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। आज आदिवासी वर्ग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। गांवों में विकास के नाम पर सरकार ने कोई कार्य नहीं किया। जनभागीदारी के नाम पर भ्रष्टाचार किया गया। आज क्षेत्र के अधिकांश गांव और फलियों में सर्वाधिक मांग विद्युत डीपी स्थापित करने की सामने आ रही है। यदि विकास किया होता तो आदिवासी ग्रामीणों को विद्युत डीपी के लिए इतनी भागदौड़ नहीं करना पड़ता।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।