पहलवान Sangeeta Phogat और पद्मश्री Bajrang Punia हुए एक, आठ फेरों के साथ की दांपत्य जीवन की शुरुआत

Gaurav Sharma
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हरियाणा, डेस्क रिपोर्ट। शास्त्रों से लेकर अब तक हमने शादी के बंधन में बनने के लिए सात वचनों के साथ सात फेरे लेना पढ़ा, सुना और देखा है। वहीं अगर अपनी शादी में जोड़ा कुछ अलग करके तो वो चर्चा का विषय बन जाता है। ऐसा की कुछ दंगल गर्ल गीता और बबीता फौगाट (babita phogat) की छोटी बहन पहलवान संगीता फौगाट (Sangeeta Phogat) ने अपनी शादी में किया है। संगीता फौगाट और पद्मश्री बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) शादी के पवित्र बंधन में बंध चुके है। जिसके लिए उन्होंने सात फेरों और सात वचनों की जगह आठ फेरे और आठ वचन लिए हैं।

जानें क्या रहा आठवां फेरा

द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फौगाट (Dronacharya Awardee Mahabir Faugat) की बेटी संगीता फौगाट (Sangeeta Phogat) और अंतरराष्ट्रीय पहलवान बजरंग पूनिया (International wrestler Bajrang Punia) बुधवार को एक साथ शादी के पवित्र बंधन में बंध गए हैं। दोनों ने सात फेरों की जगह 8 फेरे लेकर एक दूसरे को अपना जीवनसाथी बनाया है। क्या आप जानना चाहेंगे कि संगीता फौगाट (Sangeeta Phogat) ने आठवां फेरा किस नाम का लिया है। जी हां हम आपको बताते हैं कि संगीता फौगाट (Sangeeta Phogat) ने आठवां फेरा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के नाम का लिया है। बता दें कि संगीता फौगाट (Sangeeta Phogat) की बड़ी बहने दंगल गर्ल गीता और बबीता ने भी अपनी शादी में सात फेरों की जगह 8 फेरे लिए थे, परिवार की इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए संगीता फौगाट (Sangeeta Phogat) ने भी अपनी शादी में 8 फेरे लिए है।

कोरोना गाइडलाइन का किया गया पालन

26 नवंबर को पहलवान संगीता फौगाट (Sangeeta Phogat) और पहलवान बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) की शादी कोरोनाकाल में हुई है। जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार की गाइडलाइन का विशेष रूप से पालन किया गया है। जहां शादी में सीमित मेहमानों की संख्या रखी गई थी, वहीं सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना और हैंड सैनिटाइज करने की भी विशेष व्यवस्था की गई थी।

बारातियों की संख्या रही सीमित

बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) गांव खुड्डन के मूल निवासी है। जो हाल में सोनीपत में रहते है। कोरोनाकाल में हो रही शादी को देखते हुए पहलवान बजरंग पूनिया ने बारातियों की संख्या 31 रखी थी। इन्हीं 31 बरातियों के साथ बजरंग पुनिया पहलवान संगीता फौगाट के घर पहुंचे और परिणय सूत्र में बंधकर एक-दूसरे को जीवनसाथी बनाया।

वहीं कोरोनाकाल में शादी में आए लोगों की बात की जाए तो, पूरी शादी कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए किया गया। जिसमें दुल्हा और दुल्हन की तरफ से केवल 50 से 60 मेहमान ही शामिल हुए थे। अपनी बेटी की शादी को लेकर द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फौगाट ने बेटी विदाई के पीड़ा को बयां करते हुए कहा कि यही संसार का नियम है। एक दिन बेटियों को विदा करना ही पड़ता है। इस दौरान उन्होंने कहा कि पद्मश्री से सम्मानित बजरंग पूनिया एक अच्छा इंसान है, जिनके साथ मेरी बेटी खुश रहेंगी।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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