सुबह 10.31 से दोपहर 2.04 बजे तक दिखाई देगा ‘सूर्यग्रहण’, एक साथ बन रहे कई संयोग

बालाघाट। सुनील कोरे| अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिषाचार्य डॉ. (प्रो.) अरविंदचंद्र तिवारी ने बताया कि ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से सूर्य ग्रहण (सूर्योपराग) तब होता है, जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण से चंद्रमा द्वारा आवूत (व्यवधान/बाधा) हो जाये। इस प्रकार के ग्रहण के लिये चंद्रमा का पृथ्वी और सूर्य के बीच आना आवश्यक है। इससे पृथ्वी पर रहने वाले लोगो को सूर्य का आवूत भाग नही दिखाई देता। भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिये ढक जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की। कभी-कभी चंद्रमा, सूरज और पृथ्वी के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है। जिससे पृथ्वी पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है।

सूर्यग्रहण इस बार कई संयोग लेकर आ रहा है। इस सप्ताह के आखिरी दिन 21 जून दिन रविवार को सूर्य ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण बहुत दुर्लभ माना जा रहा है। इसका विशेष महत्व है। यह इस महीने का दूसरा ग्रहण होगा। इससे पहले 5 जून को उपच्छाया चंद्र ग्रहण लगा था। जहां खगोलीय घटना के रूप में ग्रहण का विशेष महत्व है वहीं ज्योतिषशास्त्र के अनुसार 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण को काफी महत्वपूर्ण घटना है। दुनिया में चल रही कोरोना महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और कई देशों के बीच तनाव की स्थिति में यह सूर्य ग्रहण लग रहा है। सूर्य ग्रहण एक साथ कई तरह के संयोग लेकर आ रहा है।


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न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

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