Chanakya Niti : चाणक्य का जन्म लगभग 350 से 400 ईसा पूर्व में तक्षशिला में हुआ था। उनका असली नाम विष्णुगुप्त था और वे एक ब्राह्मण परिवार से थे। जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारत के एक महान शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनयिक थे। चाणक्य ने राजनीति, अर्थशास्त्र, प्रशासन, सैन्य रणनीति और धर्मशास्त्र में गहन अध्ययन किया। वे अत्यंत ज्ञानी और कुशल शिक्षक थे। चाणक्य का सबसे महत्वपूर्ण योगदान चंद्रगुप्त मौर्य की सहायता से मौर्य साम्राज्य की स्थापना थी। उन्होंने नंद वंश के अत्याचारी राजा धनानंद को सत्ता से हटाने के लिए चंद्रगुप्त मौर्य को प्रशिक्षित किया और उन्हें राजा बनने में मदद की। चाणक्य की रचना “अर्थशास्त्र” प्राचीन भारत का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह पुस्तक राजनीति, प्रशासन, अर्थव्यवस्था, सैन्य रणनीति और कानून के बारे में विस्तार से जानकारी देती है। “चाणक्य नीति” एक अन्य महत्वपूर्ण रचना है, जिसमें जीवन, राजनीति और सामाजिक व्यवहार के बारे में नीतियां शामिल हैं। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको चाणक्य नीति में बताई गई कुछ बात बताएंगे। आइए जानते हैं विस्तार से यहां…
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चाणक्य नीति के अनुसार, दुष्ट और साँप, इन दोनों में सांप अच्छा है, न कि दुष्ट। सांप तो एक ही बार डसता है, लेकिन दुष्ट तो पग-पग पर
डसता रहता है।
चाणक्य नीति कहती है कि दुष्ट व्यक्ति और साँप में साँप बेहतर है क्योंकि साँप केवल एक बार डसता है। साँप के डसने से होने वाला नुकसान सीमित होता है और इससे बचने या निपटने के उपाय किए जा सकते हैं तो वहीं, दुष्ट व्यक्ति अपने दुष्ट स्वभाव के कारण निरंतर और हर कदम पर हानि पहुंचाता है। दुष्ट व्यक्ति का आचरण अनिश्चित होता है और वह बार-बार धोखा दे सकता है, जिससे उससे निपटना कठिन हो जाता है।
चाणक्य की नीति हमें बताती है कि दुष्ट व्यक्ति से सावधान रहना चाहिए क्योंकि उनका व्यवहार सही नहीं होता और वे निरंतर हानि पहुंचा सकते हैं।
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