Gita Updesh : श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दू धर्म का अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र ग्रंथ है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के मैदान में अर्जुन को जो उपदेश दिए, वे जीवन के हर पहलू के लिए मार्गदर्शक हैं। इसमें कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं जोकि जीवन के तीन मुख्य मार्गों के बारे में बताता हैं। इसमें आत्मा, परमात्मा और संसार के असली स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करने की शिक्षा दी गई है। व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन, शांति, और सफलता प्राप्त कर सकता है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सिखाया कि कर्म करना मनुष्य का धर्म है। व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, बिना फल की इच्छा किए। उन्होंने अर्जुन से कहा कि अपने कर्तव्य का पालन करना ही सच्चा धर्म है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि आत्मा कभी नहीं मरती। यह न जन्म लेती है और न ही इसकी मृत्यु होती है। यह अजर-अमर, अविनाशी और शाश्वत है। शरीर तो नश्वर है, लेकिन आत्मा अमर है। जिसके बाद उन्होंने अपने विश्वरूप को प्रकट कर अर्जुन को दिखाया कि वे ही इस सृष्टि के सर्जक, पालक और संहारक हैं। सब कुछ उन्हीं से उत्पन्न होता है और उन्हीं में विलीन हो जाता है। फिर अर्जुन ने अपने संदेहों को त्यागकर युद्ध में भाग लिया और धर्म की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। जिसमें पांडवों की जीत हुई और धर्म की स्थापना हुई।
मांगे ये चीजें
- गीता उपदेश के अनुसार, घर में सुख शांति बनाए रखने के लिए कभी भी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना चाहिए।
- भगवान के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण बनाए रखें। नियमित रूप से प्रार्थना और ध्यान करें, जिससे मन की शांति और आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- हमेशा अच्छे कर्म करें और दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहें। गीता में कर्म योग का महत्व बताया गया है। जिसका अर्थ है कि निष्काम भाव से कार्य करने से सारी सफलता हाथ लगती है। इससे जीवन में सकारात्मकता आएगी।
- गीता उपदेश के अनुसार, जिंदगी में सही रास्ते पर चलिए। इसके लिए कभी भी मन को भटकने मत दिजिए।
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