Gita Updesh : बच्चों को बचपन से ही श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ पढ़ाया जाता है। दरअसल, सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। यह भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद का विस्तृत वर्णन है, जिसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं जिसे संस्कृत भाषा में लिखा गया था, लेकिन अब इसे बहुत सी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। बता दें कि महाभारत युद्ध से पहले अर्जुन अपने कर्तव्यों को लेकर संदेह और भ्रम की स्थिति में थे, जिसे देखते हुए भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें जीवन का रहस्य बताया। साथ ही विश्व रूप प्रकट कर धर्म योग, कर्म योग और भक्ति योग के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन अपने रिश्तेदारों, गुरु और मित्रों को युद्ध के लिए तैयार देखकर दुखी हो जाते हैं और चिंता में पड़ जाते हैं। उनके सारी चिंता को खत्म करने के लिए गीता का उपदेश दिया गया था। बता दें कि गीता उपदेश को अपनाने वाला हर एक व्यक्ति जीवन में अच्छा इंसान बनता है। साथ ही इसमें मोक्ष प्राप्ति के रास्ते बताए गए हैं। गीता के उपदेश आज भी उतने ही महत्वपूर्ण है। जितने उस समय में हुआ करते थे। यह जीवन में सही रास्ता दिखाने का काम करते हैं। उनके उपदेशों का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलता है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको शांति पाने के लिए गीता उपदेश में बताए गए उपाय बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप भी मन को स्थिर कर सकते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से…
प्रेम
- गीता उपदेश के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि प्रेम एक ऐसी भावना होती है जो हृदय को स्थिर करती है। प्रेम से बढ़कर इस दुनिया में कुछ भी नहीं है। यदि आप किसी को प्रेम करते हैं, तो उसे धोखा ना दे कभी भी उसे कष्ट ना पहुंचाएं, क्योंकि प्रेम में पड़ा व्यक्ति आप पर पूर्णता विश्वास करता है। उसके विश्वास को ना तोड़े, वरना वह जिंदा होते हुए भी जिंदा नहीं रह पाता।
- भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि जब आप किसी से प्रेम करते हैं, तो यह न केवल आपकी जिम्मेदारी है, बल्कि आपका कर्तव्य भी है कि आप उस व्यक्ति के विश्वास को कभी ना तोड़ें। यदि आप किसी को धोखा देते हैं या कष्ट पहुंचाते हैं, तो आप उस व्यक्ति के हृदय को आघात पहुंचाते हैं और उसका विश्वास तोड़ते हैं।
- ऐसा करने से वह व्यक्ति भले ही शारीरिक रूप से जीवित हो, लेकिन मानसिक और भावनात्मक रूप से वह टूट जाता है और जीते जी मरने जैसा अनुभव करता है।
धैर्य
- गीता उपदेश के अनुसार, धीरज रखना मन को स्थिरता प्रदान करता है, इसलिए हमेशा इंसान को किसी भी कार्य में धैर्य रखना चाहिए। इससे आने वाला कल आपका बहुत बेहतरीन हो जाएगा।
- गीता के उपदेश में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि धैर्य रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे व्यक्ति का मन शांत और स्थिर रहता है। इससे हमारी निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।
- कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करते समय धैर्य रखना बहुत आवश्यक होता है। यह हमें निराशा से बचाता है। साथ ही जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
न्याय
- न्याय एक ऐसी भावना है जो व्यक्ति को आंतरिक शांति और संतुष्टि प्रदान करती है। गीता के अनुसार, न्याय का पालन करना और सत्य के मार्ग पर चलना व्यक्ति को आत्मिक शांति और संतोष प्राप्त करता है।
- भगवान श्री कृष्ण के अनुसार, न्याय वह सिद्धांत है जो जीवन में संतुलन और समता बनाए रखता है। जब कोई व्यक्ति न्याय करता है, तो वह सही और गलत के बीच अंतर को समझकर सही निर्णय लेता है। इससे मन को शांति और संतोष मिलता है।
- बता दें कि जब कोई व्यक्ति गलत काम करता है, तो वह अपने अंदर एक तरह की असंतोष और अशांति महसूस करता है। वहीं, न्याय मनुष्य को आत्मिक शांति, संतोष और खुशी प्रदान करता है। इससे जीवन में स्थिरता और शांति बनी रहती है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)