Astrology: जाने कब और कैसे बनता हैं कुंडली में विदेश यात्रा का संयोग 

Manisha Kumari Pandey
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धर्म, डेस्क रिपोर्ट।  विदेश यात्रा कौन नहीं करना चाहता, लेकिन कुछ परिस्थितियों के कारण लोग विदेश यात्रा नहीं कर पाते। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कई ऐसे राशिफल और  योग कुंडली में बनते हैं जिसके कारण लोग विदेशों यात्रा  करने में असफल होते हैं।  तो आइए जानते हैं आखिर कब और कैसे विदेश यात्रा का योग कुंडली में बनता है?

राशियों का होता है जरूरी किरदार

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक राशियों का भी विदेश यात्रा में एक अहम किरदार होता है।  राशियों के कई  प्रकार होते हैं जिनकी स्थिति से विदेश यात्रा का योग बनता है। कुछ  राशियां ऐसी होती  है जो हमेशा अदला-बदली करती रहती हैं और जब इनमें बदलाव ज्यादा होते हैं तब ही रहने के स्थान, नौकरी और विदेश यात्रा का योग बनता है। ऐसी राशियां है मेष, कर्क, तुला और मकर।  हालांकि मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि छोटी मोटी विदेश यात्रा का संयोग बना सकते हैं।

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घरों और दशाओं का होता है खास महत्व

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में 10वां और चौथा घर विदेश यात्रा में एक अहम भूमिका निभाता है।  यदि 10वें  घर का मालिक चौथे घर से जुड़ा हो तभी विदेश यात्रा संभव हो पाती है और यदि चौथे घर मजबूत हो तब भी विदेश यात्रा संभव हो सकती है। कुछ ज्योतिष विदेश यात्रा के लिए सातवें और नौवें घर को भी जरूरी बताते हैं। तो कुछ 12वें घर को विदेश यात्रा के लिए जरूरी बताते हैं। इसलिए चौथा, सातवां, नवा, दसवां और बारहवां  घर विदेश यात्रा से जुड़ा होता है।

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इन योग से मुश्किलों भरी होती है विदेश यात्रा

हालांकि आठवां घर भी विदेश यात्रा से जुड़ा होता है, लेकिन यह अशुभ माना जाता है।  इसलिए ज्योतिष इसे लेकर सावधानी बरतने की सलाह देते हैं।  आठवें  और ग्यारहवें घर में कुछ बदलाव होने के कारण विदेश की यात्रा बन सकती है लेकिन इससे कई समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। यदि राहु की जगह सही ना हो तो विदेश यात्रा में कई बाधाएं भी उत्पन्न होती है।  कुछ मामलों में महादशा और अंतर्दशा का भी महत्वपूर्ण  होता है, यह भी विदेश यात्रा के लिए एक अहम भूमिका निभाती है।  गुरु दशा, राहु दशा, केतु दशा और शुक्र दशा विदेश यात्रा की ओर इशारा करता है।


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