Astrology: कुंडली में ग्रहों की दिशा और दशा के कारण इंसानों के जीवन में कई बदलाव होते हैं। स्वभाव, व्यवहार, भोजन इत्यादि का संबंध भी ग्रहों और नक्षत्रों से होता है। आलस्य के पीछे भी ग्रहों की स्थिति हो सकती है। कई लोग बिना चाहे आलस्य का शिकार हो जाते हैं, जिसके कारण जीवन के कई महत्वपूर्ण काम अधूरे रह जाते हैं। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली का तीसरा और ग्यारहवां भाव पराक्रम का होता है, जिसके कमजोर होने से व्यक्ति आलसी हो जाता है।
शनि के कमजोर होने से व्यक्ति होता है आलसी
आलस्य का सबसे बड़ा कारण शनि ग्रह को माना जाता है। शनि की स्थिति कमजोर होने से व्यक्ति आलस्य का शिकार होता ही। इस ग्रह के प्रकोप ने व्यक्ति का आलस्य इस हद्द तक बढ़ जाता है कि वह बिस्तर से उठना तक नहीं चाहता। काम के बारे में सिर्फ सोचता है, लेकिन उसे कर नहीं पाता।
ये ग्रह भी हो सकते हैं आलस्य का जिम्मेदार
चंद्रमा, गुरु और शुक्र को भी आलस्य का जिम्मेदार माना जाता है। जब चंद्रमा लग्न की स्थिति पर अपना प्रभाव छोड़ता है, तब व्यक्ति आलसी होता है। व्यक्ति खुद को शरारिक रूप से कमजोर महसूस करने लगता है। लग्न पर शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति को काम करने का मन नहीं लगता। कुंडली में गुरु के मुख्य ग्रह होने पर भी व्यक्ति आलसी होता है।
क्या कहता है विज्ञान?
विज्ञान के अनुसार आलस्य के का सबसे बड़ा कारण व्यक्ति का खानपान होता है। डाइट में अधिक कार्बोहाइड्रैट्स और कैलोरी वाला भोजन शामिल करने से आलस्य बढ़ता है। इसलिए एक्टिव और फिट रहने के लिए ग्रहों के साथ-साथ खानपान को भी उचित रखने की जरूरत है।
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी साझा करना है, जो ग्रंथों, मान्यताओं और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। MP Breaking News इन बातों के सत्यता और सटीकता की पुष्टि नहीं करता।)