Astrology: ग्रहों और नक्षत्रों का जीवन मनुष्य से गहरा संबंध होता है। शारीरिक समस्याओं और बीमारियों के लिए ग्रहों को जिम्मेदार माना जाता। शरीर के अंगों का नवग्रहों से नाता होता है। ग्रहों की कमजोर स्थिति इन अंगों को कमजोर करती हैं। जिसके कारण अलग-अलग प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता।
सूर्य और चंद्रमा का आँखों से गहरा संबंध
आंखों से दो ग्रहों का खास संबंध होता है। ग्रहों के राजा सूर्य को दायीं और चंद्रमा बायीं आंख के कारक हैं। वहीं शुक्र को नेत्र ज्योति का कारक माना जाता है। शुक्र की वजह से ही आंखें खूबसूरत दिखती हैं।
- सूर्य के मेष लग्न में होने से सूजन और आंखों की लाली जैसे समस्याएं होती है। सूर्य के कर्क लग्न में होने से मोतियाबिंद होता है। सूर्य को अंधेपन का कारण भी माना जाता है।
- दूसरे भाव में दूसरे भाव में सूर्य और चंद्रमा की युति बनने से भी आंखों की समस्या होती है।
- प्रथम भाव में जब सूर्य नीच का होता है तो व्यक्ति को गंभीर नेत्र रोगों का सामना करना पड़ता है। ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है।
- कुंडली के छठे भाव में जब सूर्य और चंद्रमा शत्रु के रूप में एक साथ आते हैं, तब आंखों की समस्या होने लगती है। केतु के प्रभाव से सर्जरी भी हो सकती है।
मंगल, शुक्र और शनि भी हैं जिम्मेदार
आजमाएं ये उपाय
आंखों से संबंधित समस्याओं से निजात पाने के लिए सूर्य और चंद्रमा को प्रसन्न करना जरूरी होता है। रोजाना तांबे के लोटे में जल भरकर सूर्य को अर्घ्य दें। आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करें। चाक्षुसी स्तोत्र का पाठ करना भी शुभ माना जाता है। मंदिर या घर में भगवान की पूजा करते समय आंख बंद ना करें। भगवान शिव की पूजा-आराधना करें, जलाअभिषेक करें। चांदी के आभूषण पहने और सफेद चीजों का दान करें।
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी साझा करना है, जो पंचांग, ग्रंथों, मान्यताओं और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। MP Breaking News इन बातों के सत्यता और सटीकता की पुष्टि नहीं करता।)