Planetary Parade 2025 : आज 21 जनवरी को आसमान में एक अद्भूत खगोलिय घटना देखने को मिलने वाली है। सूर्यास्त के बाद आज मंगलवार शाम को सौरमंडल में आकाशीय कुंभ लगने वाला है। आज शाम छह ग्रह एक कतार में नजर आएंगे। इनमें शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, नेपच्यून और यूरेनस शामिल हैं। देखने में ये छहों ग्रह एक कतार में एक साथ नजर आएंगे, लेकिन विशालकाय सौरमंडल में वे एक-दूसरे से लाखों किमी की दूरी पर मौजूद हैं।
नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि आज मंगलवार 21 जनवरी की शाम बेहद खास होने जा रही है । सूर्यास्त के बाद आकाश में पूर्व से पश्चिम तक सौरमंडल के 6 ग्रह एक कतार में रहेंगे । पूर्वी आकाश मे जहां मंगल होगा तो सिर के लगभग उपर बृहस्पति और यूरेनस होंगे वहीं पश्चिमी आकाश में नेप्च्यून , शुक्र और शनि होंगें । ग्रहों का कुंभ से नजारे में आप खाली आंखों से मंगल, बृहस्पति, शुक्र और शनि को तो देख पायेंगें । यूरेनस और नेप्च्यून को देखने के लिये टेलिस्कोप की मदद लेनी होगी ।
सौरमंडल में रहेगी बुध की कमी
सारिका ने बताया कि सौरमंडल के पहले ग्रह बुध की इस समय कमी रहेगी । इस कमी को आने वाले फरवरी माह में पूरी कर पायेंगे जब आप सभी ग्रहों को एक साथ देख सकेंगे । सोशल मीडिया में इस घटना को बढ़ा –चढ़ा कर बताया जाता है । ग्रहों की परेड आम तौर हर कुछ साल में होती रहती है, लेकिन इनका समय बदलता रहता है । भारत के आकाश के लिये यह शाम को दिख रही है इसलिये महत्वपूर्ण है । इसमें भी ग्रह आपस में सट नहीं जायेंगे बल्कि 180 डिग्री के आकाश में एक कतार में रहेंगे । यह इन ग्रहों को पहचानने और जानने का मौका रहता है ।
अबतक जनवरी में हो चुकी है दो खगोलिय घटना
- 16 जनवरी को भी आसमान में एक अद्भूत खगोलिय घटना देखने को मिली थी। इस दौरान लालग्रह मंगल हमारी पृथ्वी और सूर्य की एक सीध में नजर आए थे। इस खगोलीय घटना में मंगल, पृथ्वी और सूर्य एक सरल रेखा में थे । जब भी तीनों ग्रह एक साथ में आते है, तो इसे मार्स इन अपोजिशन कहा जाता हैं ।
- इससे पहले 4 जनवरी को आसमान में दो खगोलीय घटना देखने को मिली थी। पहला पृथ्वी और सूर्य पास पास आए थे और दूसरा शनि चंद्रमा शुक्र आकाश में एक लाईन बनाते दिखेे थे। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुये साल में एक दिन सूर्य के सबसे पास आती है और एक दिन सबसे दूर । 4 जनवरी को पृथ्वी सूर्य के सबसे पास के बिंदु पर पहुंची थी और यह दूरी घटकर 14 करोड 71 लाख 3 हजार 686 किमी रह गई थी , इसे पेरिहेलियन बिंदु पर आना कहा जाता है।