Ratna Shastra: बृहस्पति को मजबूत करता है पुखराज, जानें इसे धारण करने की विधि और नियम

रत्न शास्त्र में कई रत्नों का उल्लेख दिया गया है जो व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर डालते हैं। चलिए आज हम आपको चमत्कारी पुखराज के बारे में बताते हैं।

Diksha Bhanupriy
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Ratna Shastra

Ratna Shastra: ज्योतिष एक ऐसी विद्या है, जिसके जरिए व्यक्ति अपने जीवन के बारे में सब कुछ पता कर सकता है। जब भी हम कोई शुभ काम करने जा रहे होते हैं तो ज्योतिष की सलाह अवश्य लेते हैं और मुहूर्त निकालने के बाद ही काम करते हैं। इसी के साथ अगर व्यक्ति जीवन में किसी तरह की परेशानी का सामना कर रहा होता है तो उसका समाधान निकालने के लिए भी वह ज्योतिष का ही सहारा लेता है।

ज्योतिष अलग-अलग भागों में विभाजित है। जिनमें गणना करने का माध्यम ग्रह ही होते हैं लेकिन तरीका अलग होता है। रत्न शास्त्र ज्योतिष के महत्वपूर्ण भागों में से एक है। इसमें 9 रत्न और 84 उपरत्नों का उल्लेख दिया गया है। व्यक्ति के जीवन में ग्रहों की स्थिति को अनुकूल बनाने और परेशानियों को दूर करने के लिए इन्हें पहनने की सलाह दी जाती है।

पुखराज एक ऐसा रत्न है जिसे धारण करने के बाद व्यक्ति को अद्भुत फायदे होते हैं। इस रत्न का संबंध गुरु ग्रह से है और यह व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर डालने का काम करता है। आज हम आपको इस रत्न के बारे में सारी जानकारी देते हैं और इसे पहनने के नियम भी बताते हैं।

कौन पहनें पुखराज

सबसे पहले यह जान लेते हैं कि पुखराज कौन पहन सकता है। मेष, सिंह, धनु और मीन राशि वालों के लिए यह काफी शुभ माना गया है। अगर यह लोग पुखराज पहन लेते हैं तो इन्हें धन दौलत की प्राप्ति होती है। इससे बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है। जो लोग विवाहित हैं उनके जीवन की समस्या समाप्त होती है।

ये ना पहनें

वृषभ, तुला, कन्या, मकर और कुंभ वालों को पुखराज नहीं पहनना चाहिए। जिनकी कुंडली में गुरु ग्रह नीच स्थिति में है उन्हें भी यह रत्न धारण नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पुखराज का अशुभ प्रभाव हो सकता है।

कैस करें धारण

  • पुखराज हमेशा गुरुवार के दिन धारण किया जाता है। इसे सूर्योदय के बाद सुबह 10 बजे से पहले स्नान ध्यान से निवृत होकर पहनें।
  • यह सोने की धातु में बनवाकर तर्जनी उंगली में पहना जाता है। इससे पॉजिटिविटी की प्राप्ति होती है।
  • पुखराज धारण करने से पहले इसे गंगाजल और दूध से धोकर पवित्र करना बिल्कुल ना भूलें। इसके बाद बृहस्पति मंत्र का 108 बार जाप करें। आखरी मंत्र बोलते समय इसे अपनी तर्जनी उंगली में धारण कर लें।

इन नियमों का रखें ध्यान

  • पुखराज एक बार धारण करने के बाद उतारा नहीं जाता है। इस बात का ध्यान आपको हमेशा रखना है।
  • अगर किसी कारणवश आपको इसे उतारना पड़े तो वापस पहनने से पहले पूजा प्रतिष्ठा करना बिल्कुल ना भूलें।
  • यह बहुत ही चमत्कारी रत्न है। इसका चमत्कार और नैतिकता बनी रहे इसके लिए अपने कर्मों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
  • पुखराज धारण करने के बाद नशा और मांस, मदिरा जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। बुधवार और गुरुवार के दिन इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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