Ratna Shastra: भाग्योदय के लिए नक्षत्र के मुताबिक धारण करें रत्न, होंगे चमत्कारी फायदे

ग्रह नक्षत्र की अनुकूल स्थिति व्यक्ति के जीवन में खुशियां लेकर आती है। अगर इन्हें सही नक्षत्र में धारण कर लिया जाए तो यह शुभ फल प्रदान करते हैं।

Ratna Shastra

Ratna Shastra: ग्रह नक्षत्र व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर डालते हैं। कई बार ग्रहों की विपरीत परिस्थिति व्यक्ति के जीवन में परेशानी उत्पन्न करती है। इन ग्रहों की स्थिति को अनुकूल बनाने के लिए ज्योतिष में कुछ रत्नों का उल्लेख दिया गया है। नौ ग्रहों से संबंधित नौ रत्न बताए गए हैं, जिनके 84 उपरत्न भी है।

माणिक्य, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, राहु, गोमेद, लहसुनिया जैसे रत्न नौ ग्रहों के अनुकूलता के लिए धारण किए जाते हैं। हालांकि रत्नों को धारण करते समय कुछ नियमों का और समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कौन से ग्रह के लिए कौन सा रत्न किस नक्षत्र में पहनना चाहिए।

सूर्य

सूर्य ग्रहण का राजा है और इस शक्तिशाली बनाने के लिए माणिक्य पहना जाता है। सोने में जड़वा कर माणिक्य को रविवार के दिन अनामिका उंगली में कृतिका या उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में पहनना चाहिए।

चंद्रमा

चंद्रमा का संबंध मोती से बताया गया है। चांदी की अंगूठी में इस रत्न को सोमवार के दिन रोहिणी, हस्त या फिर श्रवण नक्षत्र में पहनना चाहिए।

मंगल

मंगल को शक्तिशाली बनाने के लिए मूंगा धारण किया जाता है। इसे तांबे की धातु में मंगलवार के दिन मृगशिरा, धनिष्ठा या फिर चित्रा नक्षत्र में पहना जाता है। पुष्य नक्षत्र भी इसे धारण करने के लिए शुभ माना गया है।

बुध

बुध ग्रह का प्रधान रत्न पन्ना माना जाता है। इसे हाथ की सबसे छोटी अंगुली में बुधवार के दिन अश्लेषा, रेवती या ज्येष्ठा नक्षत्र में पहनना चाहिए।

ब्रहस्पति

बृहस्पति यानी गुरु ग्रह के लिए पुखराज शुभ माना गया है। इसे पुनर्वसु, पूर्वाभाद्रपद या विशाखा नक्षत्र में तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए।

शुक्र

शुक्र को शक्तिशाली बनाने के लिए हीरा धारण किया जाता है। पूर्वाफाल्गुनी, भरणी या पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में इसे पहनने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।

शनि

शनि का संबंध नीलम रत्न से बताया गया है। इसे पुष्प, अनुराधा या उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में धारण करना चाहिए। इसे चांदी अथवा पंच धातु में मध्यमा उंगली में धारण किया जाता है।

राहु

राहु के लिए गोमेद धारण करने की सलाह दी जाती है। इसे आर्द्रा, स्वाति या शतभिषा नक्षत्र में बुधवार और शनिवार को पहनना चाहिए। यह पंचधातु या फिर चांदी में मध्यमा अंगुली में पहना जाता है।

केतु

केतु की स्थिति अनुकूल करने के लिए लहसुनिया मूल, अश्विनी या मघा नक्षत्र में धारण करना चाहिए। इस पंच धातु या चांदी में जड़वा कर मध्यमा में पहना जाता है।

Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।


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Diksha Bhanupriy

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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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