Abujh Muhurat 2023 – हिंदू पंचांग की ऐसी तिथियां जिस दिन किये जा सकते हैं शुभ कार्य, जानें अबूझ मुहूर्त का महत्व

Atul Saxena
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Abujh Muhurat : देव उठनी एकादशी यानि देव उठान ग्यारस से शादियों की शुरुआत हो गई है, हिंदू पंचांग को मानने वाले करोड़ों लोगों के चेहरे पर खुशियाँ आ गई हैं, चार महीने की नींद से जागने के बाद प्रभु श्रीहरि नींद से जागे हैं (ऐसी मान्यता है)  और मांगलिक कार्य शुरू हो गए हैं, लेकिन हम आपको इस आलेख में ऐसे कुछ अबूझ मुहूर्त के बारे में बताने जा रहे हैं जिन तिथियों में पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती, इन तिथियों को बहुत शुभ माना गया है।

वो पांच तिथियाँ जो कहलाती हैं अबूझ मुहूर्त 

अधिकांश लोग किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले शुभ तिथि या शुभ तारीख का पता लगाते हैं इसके लिए पंचांग की जानकारी रखने वाले ज्योतिषी या पंडित से लोग सलाह लेते हैं, हालाँकि आजकल इंटरनेट पर भी बहुत सी बातों का समाधान हो जाता है..खैर यहाँ हम उन पांच तिथियों की जानकारी आपको दे रहे हैं जिन्हें शुभ माना गया है जिन्हें अबूझ मुहूर्त कहा गया है यानि इस दिन आपको शुभ कार्य करने के लिए किसी ज्योतिषी या पंडित से पंचांग दिखवाने की जरुरत नहीं होती।

देवउठनी एकादशी : इसे देव उठान ग्यारस भी कहते हैं, ये कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है, मान्यता है कि इस दिन प्रभु श्रीहरि(भगवन विष्णु) चार महीने की निद्रा से जागते हैं और उनके जागते ही शुभ कार्य शादी विवाह शुरू हो जाते हैं, इसे अबूझ मुहूर्त माना गया है , इस दिन शादी विवाह के अलावा अन्य कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।

विजयादशमी : ये पूरे देश में त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, अधिकांश क्षेत्रों में इसे दशहरा कहते हैं, ये अश्विन (क्वार) महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है, सामान्य तौर पर इस दिन अस्त्र शस्त्र की पूजा की जाती है , इस दिन दुकानों के उद्घाटन,  नए वाहन खरीदना, गृह प्रवेश आदि करना भी शुभ माना जाता है , ये भी अबूझ मुहूर्त है।

वसंत पंचमी : इसे बसंत पंचमी भी कहा जाता है ये माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती अवतरित हुई थी इसलिए ये दिन बहुत शुभ और अबूझ मुहूर्त माना जाता है, इस दिन बहुत सी सामाजिक संस्थाएं और सरकारें सामूहिक विवाह कार्यक्रम करती हैं , इसके अलावा इस दिन गृह प्रवेश, शादी, सगाई, गोद भारी जैसे मांगलिक कार्य बिना कोई पंचांग देखे किये जा सकते हैं।

फुलोरा दोज : इस कई जगह फुलेरा दूज भी कहा जाता है , ये फागुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर आती है, इस दिन भी सामाजिक संस्थाएं और सरकारें सामूहिक विवाह समारोह आयोजित करती है, ये अबूझ मुहूर्त है , इस दिन  शादी, सगाई, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य किये जा सकते हैं।

अक्षय तृतीया : इसे आखा तीज या अक्खा तीज भी कहा जाता है, ये बैसाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आती है, ये श्रेष्ठ अबूझ मुहूर्त माना जाता है इस दिन विवाह, सगाई, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य किये जाते हैं, इस दिन देश में कई स्थानों पर सामूहिक विवाह समारोह आयोजित किये जाते हैं।

आपको बता दें कि विजयदशमी को छोड़कर शेष सभी अबूझ मुहूर्त उन लोगों के लिए बहुत खास होते हैं जिनके विवाह का योग तो बन रहा होता है लेकिन शुभ मुहूर्त नहीं निकल रहा होता है यानि पंचांग में उनकी शादी की शुभ तिथि नहीं निकल रही होती  है ऐसे में उनके परिवार के लोग इन अबूझ मुहूर्तों में से किसी एक दिन को चुनकर शादी की तारीख तय कर लेते हैं।

Disclaimer : इस आलेख में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है इसे अपनाने से पहले अपने ज्योतिषी या फिर किसी विशेषज्ञ की राय अवश्य लें।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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