Surya /Chandra Grahan 2024: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों नक्षत्रों की तरह ग्रहण का बड़ा महत्व माना जाता है , जब भी कोई ग्रहण लगता है तो उस घटना को खगोलीय घटनाओं में एक माना जाता है। अप्रैल में साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था और अब अक्टूबर में साल का दूसरा ग्रहण लगने वाला है। यह सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसे रिंग और फॉयर (Ring Of Fire) कहते हैं।वही मार्च में पहला ग्रहण लगा था और अब सितंबर में साल का दूसरा ग्रहण लगेगा। हालांकि यह ग्रहण भी भारत में नही दिखाई देगा और ना ही इसका सूतककाल मान्य होगा।
कब लगेगा साल का दूसरा सूर्य और चन्द्र ग्रहण
- ज्योतिष के अनुसार, साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 -3 अक्टूबर की मध्यरात्रि को लगेगा।इस ग्रहण का समय रात 09:13 PM से अगले दिन सुबह 03:17 AM तक रहेगा। इसकी अवधि करीब 6 घंटे की रहेगी, हालांकि, साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा, क्योंकि ये ग्रहण रात में लगेगा।
- साल 2024 का द्वितीय चंद्रग्रहण 18 सितंबर, 2024 को प्रातः काल 06:12 मिनट से लेकर 10:17 मिनट तक दिखाई देगा।इसकी कुल अवधि 04 घंटे 04 मिनट तक रहेगी, लेकिन भारत में नहीं दिखाई देने से सूतक काल मान्य नहीं होगा। चन्द्र ग्रहण के लिए 7 सितंबर 2025 का और आंशिक सूर्यग्रहण के लिए 2 अगस्त 2027 का इंतजार करना होगा।
भारत को छोड़कर किन देशों में देखा जा सकेगा
- भारत में साल का दूसरा सूर्य ग्रहण तो नहीं दिखेगा लेकिन आर्कटिक, अर्जेंटीना, फिजी, चिली, पेरू, ब्राजील, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर, दक्षिण अमेरिका आदि समेत कई अन्य देशों में भी इस अद्भुत खगोलीय घटना को देखने का अनुभव लोग पा सकेंगे।इस सूर्य ग्रहण में रिंग ऑफ फायर का नजारा दिखेगा। रिंग ऑफ फायर तब बनता है जब चांद सूर्य को पूरी तरह से ढ़क लेता है और सूर्य की गोलाई का सिर्फ सिरा ही नजर आता है।
- चन्द्रग्रहण भी भारत को छोड़कर यूरोप, अतिरिक्त प्रशांत महासागर, अटलांटिक, आर्कटिक और अंटार्कटिका. उत्तर-पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया के बड़े हिस्से, अफ्रीका के कुछ हिस्से उत्तर और दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा।यह चंद्र ग्रहण 04 घंटे 36 मिनट का रहेगा। चंद्र ग्रहण का समय प्रातः काल 10 बजकर 24 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 01 मिनट तक है।
कब लगता है सूर्य/चन्द्र ग्रहण?
- हिंदू धर्म में ग्रहण का बड़ा महत्व है। खगोलीय और धार्मिक दोनों दृष्टियों से सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो सूरज की रोशनी धरती तक पहुंच नहीं पाती है। इसे ही सूर्य ग्रहण का नाम दिया गया है।
- ज्योतिष के मुताबिक, चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच आ जाती है। इस दौरान चांद धरती की छाया से पूरी तरह से छुप जाता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के बिल्कुल सीध में होते हैं। इस दौरान जब हम धरती से चांद देखते हैं तो वह हमें काला नजर आता है और इसे चंद्रग्रहण कहा जाता है।
सूर्य ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा या नहीं?
वेद- शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण लगने के ठीक 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है, जो ग्रहण समाप्त होने के साथ खत्म हो जाता है, लेकिन इस बार भी सूर्य और चन्द्र ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा, जिसके कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा। लेकिन राशियों पर किसी न किसी तरह से अवश्य पड़ेगा।सूतक काल के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। सूतक काल के समय पूजा-पाठ और कोई मांगलिक, धार्मिक कार्यों को करने की मनाही होती है। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है।
ग्रहण में क्या करें और क्या नहीं
- ग्रहण के सूतक काल में पूजा पाठ बंद कर देना चाहिए।
- सूर्य ग्रहण के अवधि के दौरान घर के पूजा वाले स्थान को पर्दे से ढक दें।
- भूलकर भी देवी-देवताओं की पूजा न करें। सूर्य ग्रहण के दौरान खाना-पीना बिल्कुल न खाएं।
- खाद्य पदार्थों में तुलसी के पत्ते डालकर रख दें।
- ग्रहण की समाप्ति के बाद घर और पूजा स्थल को गंगाजल का छिड़काव करके शुद्ध किया जाता है।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही ग्रहण देखना चाहिए।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)