Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी 2024, जरूर करें ये एक छोटा सा काम, चमक उठेगा भाग्य

Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी, जिसे पद्म और हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।

Bhawna Choubey
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Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी, जिसे पद्म एकादशी और हरि शयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। 2024 में, देवशयनी एकादशी 17 जुलाई, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करते हैं और चार महीने के लिए देवउठनी एकादशी तक जागते नहीं हैं। देवशयनी एकादशी के दिन चालीसा का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। कौन से चालीसा का पाठ करें? आप अपनी इच्छा अनुसार किसी भी भगवान का चालीसा पढ़ सकते हैं। लेकिन, देवशयनी एकादशी के दिन श्री हनुमान चालीसा या श्री गणेश चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

।।विष्णु चालीसा का पाठ।।

”दोहा”

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।

भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।

देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।

हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।

गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।

देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।

जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।

करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।

सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।

पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।

निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥

 


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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