Navratri 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस वर्ष यह दिन 9 अक्टूबर को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कालरात्रि की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है और ग्रहों से जुड़ी बाधाओं का निवारण होता है।
मां कालरात्रि की पूजा तंत्र मंत्र के साधक विशेष रूप से करते हैं। जिसके चलते देवी की पूजा मध्य रात्रि में करने का विधान है। यदि आप भी मां कालरात्रि की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो शुभ मुहूर्त में देवी की उपासना करें और पूरी श्रद्धा के साथ मां कालरात्रि स्तोत्र और कवच का पाठ करें। ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में हर प्रकार की सिद्धियां और सफलता प्राप्त होती है।
कैसे किया था कालरात्रि रूप धारण
पौराणिक कथाओं के अनुसार असुर शुंभ और निशुंभ निशुंभ ने चंड-मुंड और रक्तबीज की सहायता से देवताओं को हराकर तीनों लोकों पर शासन किया। इस स्थिति से परेशान होकर इंद्र और अन्य देवताओं ने माता दुर्गा से प्रार्थना की। मां दुर्गा ने चामुंडा का रूप धारण किया और चंड-मुंड और रक्तबीज का वध किया। इस विजय के साथ ही देवी ने संपूर्ण जगत में फिर से शांति स्थापित की। मां दुर्गा की इस महाकालीन शक्ति का गुणगान आज भी किया जाता है जिससे उनके भक्तों को साहस और सुरक्षा मिलती है।
मां कालरात्रि स्तोत्र
हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं हीं श्रीं मन्त्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥
मां कालरात्रि कवच
ऊँ क्लीं मे हृदयं पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततं पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनां पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशंकरभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।