Monday: क्या आप भी एग्जाम में कड़ी मेहनत करने के बाद रह जाते हैं एक दो नंबर से, सोमवार के दिन करें ये काम, मिलेगी सफलता

Monday: सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा और व्रत रखना का नियम है। अगर बार-बार कड़ी मेहनत करने के बाद भी आपको सफलता की प्राप्ति नहीं हो रही है, अगर आप भी जीवन के तमाम संकटों से परेशान हैं, तो ऐसे में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान जरूर करें शिव चालीसा का पाठ।

Bhawna Choubey
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Monday : सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी देवताओं को समर्पित रहता है। आज सोमवार है और सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। लोग सोमवार के दिन विशेष तौर पर भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। ऐसा माना जाता है की सबसे आसान व्रत और पूजा भगवान शिव की मानी जाती है, आपने भी अक्षर सुना होगा कि भगवान से मात्र एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि सोमवार के दिन पूजा और व्रत रखने से इंसान को इच्छा अनुसार फल प्राप्त होता है। जीवन में आ रहे तमाम संकट भी दूर हो जाते हैं। अगर आप भी सोमवार के दिन व्रत रखते हैं भगवान शंकर की पूजा अर्चना करते हैं तो पूजा के दौरान शुद्ध मन से शिव चालीसा का पाठ जरूर करें। शिव चालीसा के पाठ के बिना भगवान शंकर की पूजा अधूरी मानी जाती है। इस चमत्कारी पाठ को करने से, भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है दुख और संताप से छुटकारा मिलता है।

कैसे करें पूजा

1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. घर के मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें।
3. गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
4. बेलपत्र, धतूरा, चंदन, भभूत, फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें।
5. ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
6. शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।
7. आरती करें और दीपदान करें।
8. अगर आप एक अभ्यर्थी या विद्यार्थी हैं और आप विधि विधान से पूजा नहीं कर सकते हैं तो आप मात्र भगवान शंकर को एक लोटा जल चढ़ाने के बाद शिव चालीसा का पाठ कर सकते हैं ऐसा करने से भी सफलता की प्राप्ति होती है और शुभ फल मिलता है।

||शिव चालीसा||

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन,

मंगल मूल सुजान ।

कहत अयोध्यादास तुम,

देहु अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला ।

सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।

कानन कुण्डल नागफनी के ॥

अंग गौर शिर गंग बहाये ।

मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।

छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

मैना मातु की हवे दुलारी ।

बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।

करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।

सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ ।

या छवि को कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा ।

तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

किया उपद्रव तारक भारी ।

देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायउ ।

लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥

आप जलंधर असुर संहारा ।

सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।

सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी ।

पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।

सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

वेद नाम महिमा तव गाई।

अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।

जरत सुरासुर भए विहाला ॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई ।

नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।

जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

सहस कमल में हो रहे धारी ।

कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।

कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।

भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी ।

करत कृपा सब के घटवासी ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।

भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।

येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।

संकट से मोहि आन उबारो ॥

मात-पिता भ्राता सब होई ।

संकट में पूछत नहिं कोई ॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी ।

आय हरहु मम संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदा हीं ।

जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।

क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन ।

मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।

शारद नारद शीश नवावैं ॥

नमो नमो जय नमः शिवाय ।

सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई ।

ता पर होत है शम्भु सहाई ॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।

पाठ करे सो पावन हारी ॥

पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।

निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।

ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।

ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।

शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

जन्म जन्म के पाप नसावे ।

अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।

जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥

नित्त नेम कर प्रातः ही,

पाठ करौं चालीसा ।

तुम मेरी मनोकामना,

पूर्ण करो जगदीश ॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु,

संवत चौसठ जान ।

अस्तुति चालीसा शिवहि,

पूर्ण कीन कल्याण

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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Bhawna Choubey

Bhawna Choubey

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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