वृंदावन के प्रसिद्ध श्रीहरित प्रेमानंद महाराज जी अपने सरल जीवन और गहन आध्यात्मिक ज्ञान के लिए प्रसिद्ध है. देश-विदेश से लोग उनके दर्शन और प्रेरणादायक प्रवचनों को सुनने के लिए आते हैं. उन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में सांसारिक मोहमाया त्यागकर ब्रह्मचर्य का पालन करना शुरू किया.
वर्तमान में वृंदावन में रहकर महाराज जी भक्तों को भक्ति, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं. हाल ही में उनके प्रदर्शन में सफलता और असफलता के कारणों का प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि सच्ची भक्ति और आत्म शांति से जीवन में हर कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है.
सफलता या असफलता हमारे कर्मों पर निर्भर
प्रेमानंद महाराज जी का मानना है कि सफलता या असफलता पूरी तरह से हमारे कर्मों पर निर्भर करती है, न कि भगवान की हाथों में रहती है. उन्होंने समझाया की जैसे एक शिक्षक सभी छात्रों को समान शिक्षा देखता है लेकिन वही विद्यार्थी प्रथम आता है जो मेहनत करता है, ठीक उसी प्रकार भगवान भी सभी को समान रूप से देखते हैं.
भाग्य के भरोसे बैठना गलत (Premanand Maharaj)
सफलता के लिए भाग्य से अधिक मेहनत करना ज़रूरी है. महाराज जी कहते हैं कि अगर प्रयास 80% और भाग्य 20% हो तो भी सफलता सुनिश्चित है. प्रयास ही भाग्य को बदलने की ताक़त रखता है. इसलिए जीवन में अच्छे कर्म करते हुए प्रभु का नाम लेते रहना चाहिए और यह विश्वास रखना चाहिए कि हमारे प्रयासों में सफलता दिलाएँगे.
निरंतर प्रयास हैं जरुरी
परमानंद महाराज जी का कहना है कि जीवन में सफलता पाने के लिए अच्छे कर्म और निरंतर प्रयास करना ज़रूरी है, केवल भाग्य के भरोसे बैठकर सफलता की उम्मीद करना कहीं न कहीं ख़ुद के साथ धोखा है. मेहनत आपको करनी है बस भगवान आपको आपकी मेहनत का फल अवश्य देंगे.
मेहनत और प्रयास ही बदल सकते हैं भाग्य
उन्होंने कहा कि मेहनत न करना और भगवान पर सब कुछ छोड़ देना एक बहुत बड़ी भूल है. मेहनत और प्रयास ही भाग्य को बदलने की ताक़त रखते हैं. प्रभु का नाम लेना और उनके प्रति श्रद्धा रखना बहुत ज़रूरी है लेकिन कर्म किए बिना सफलता की उम्मीद करना व्यर्थ है. इसलिए अगर आप भी अपने जीवन में सफलता पाना चाहते हैं तो आपको कड़ी मेहनत अवश्य करनी है भगवान सिर्फ़ आपको आपकी मेहनत का फल देंगे और आपका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे.