Friday Special: इन उपायों से पाएं धन-दौलत और सफलता, मिलेगा शुक्र देव का आशीर्वाद

Friday Special: शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी और शुक्र ग्रह की पूजा के लिए समर्पित है। शुक्र ग्रह को भौतिक सुख-समृद्धि, वैभव, विलासिता, सौंदर्य, कला, प्रेम और विवाह का कारक ग्रह माना जाता है। शुक्रवार के दिन इनकी पूजा करने से इन सभी क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है।

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Friday Special: हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन को देवी लक्ष्मी, धन और समृद्धि की देवी, और शुक्र ग्रह, प्रेम और सौंदर्य के कारक, दोनों के लिए समर्पित माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठानों से जीवन में सुख, शांति, वैभव और सौभाग्य का आगमन होता है।

समृद्धि की प्राप्ति के लिए शुक्रवार

शुक्रवार, देवी लक्ष्मी का दिन माना जाता है। लक्ष्मी पूजा के लिए शुक्रवार से बेहतर दिन और कौन सा हो सकता है? इस दिन विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों के जीवन में धन-धान्य का भंडार भर देती हैं। साथ ही, शुक्र ग्रह को भी भौतिक सुखों का कारक माना जाता है। अतः शुक्रवार के दिन इन दोनों की संयुक्त रूप से आराधना करने से व्यापार में वृद्धि, नौकरी में तरक्की और आर्थिक सफलता की प्राप्ति होती है।

प्रेम और सौंदर्य का वरदान

शुक्र ग्रह प्रेम और सौंदर्य का कारक ग्रह है। शुक्रवार के दिन उनकी पूजा करने से प्रेम जीवन में मधुरता आती है। दांपत्य जीवन में प्रेम और सौहार्द्र का वास होता है। अविवाहित लोगों को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। साथ ही, शुक्र ग्रह सौंदर्य का भी कारक माना जाता है। इस दिन की गई पूजा से व्यक्ति के चेहरे पर निखार आता है और उसमें कलात्मक रुझानों का विकास होता है।

शुक्रवार को शुभता पाने के उपाय

शुक्रवार के दिन किए गए कुछ सरल उपायों से आप इस दिन की शुभता को अपने जीवन में और अधिक सकारात्मक रूप से ग्रहण कर सकते हैं। आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं और सफेद वस्त्र धारण कर सकते हैं। सफेद रंग शुक्र ग्रह का प्रिय रंग माना जाता है। आप कौड़ी, दही, चावल, सफेद चंदन, सफेद फूल और इत्र जैसी चीजों का दान कर सकते हैं। साथ ही, कला, संगीत और नृत्य जैसी विधाओं में रुचि लेने से भी शुक्र ग्रह प्रसन्न होते हैं।

शुक्रवार की पूजा विधि

शुक्रवार के दिन उगते सूर्य को जल चढ़ाकर पूजा की शुरुआत की जा सकती है। इसके बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान को साफ करके एक चौकी पर शुक्र यंत्र स्थापित करें। आप चाहें तो शुक्र देव की प्रतिमा या चित्र भी रख सकते हैं। इसके बाद दीप प्रज्वलित करें, धूप-बत्ती लगाएं और सफेद पुष्प, सफेद फल और मिठाई का भोग लगाएं। फिर शुक्र ग्रह के मंत्रों का जाप करें, जिनमें “ॐ शुक्राय नमः” और शुक्र स्तोत्र का पाठ शामिल है। अंत में दान करने से पूजा का फल और भी अधिक बढ़ जाता है।

।।शुक्र कवच।।

मृणालकुन्देन्दुषयोजसुप्रभं पीतांबरं प्रस्रुतमक्षमालिनम् ।

समस्तशास्त्रार्थनिधिं महांतं ध्यायेत्कविं वांछितमर्थसिद्धये ॥

ॐ शिरो मे भार्गवः पातु भालं पातु ग्रहाधिपः ।

नेत्रे दैत्यगुरुः पातु श्रोत्रे मे चन्दनदयुतिः ॥

पातु मे नासिकां काव्यो वदनं दैत्यवन्दितः ।

जिह्वा मे चोशनाः पातु कंठं श्रीकंठभक्तिमान् ॥

भुजौ तेजोनिधिः पातु कुक्षिं पातु मनोव्रजः ।

नाभिं भृगुसुतः पातु मध्यं पातु महीप्रियः॥

कटिं मे पातु विश्वात्मा ऊरु मे सुरपूजितः ।

जानू जाड्यहरः पातु जंघे ज्ञानवतां वरः ॥

गुल्फ़ौ गुणनिधिः पातु पातु पादौ वरांबरः ।

सर्वाण्यङ्गानि मे पातु स्वर्णमालापरिष्कृतः ॥

य इदं कवचं दिव्यं पठति श्रद्धयान्वितः ।

न तस्य जायते पीडा भार्गवस्य प्रसादतः ॥

।।शुक्र स्तोत्र।।

नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित ।

वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम:।।

देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग:।

परेण तपसा शुद्ध शंकरो लोकशंकर:।।

प्राप्तो विद्यां जीवनाख्यां तस्मै शुक्रात्मने नम:।

नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्राय वेधसे ।।

तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भसिताम्बर:।

यस्योदये जगत्सर्वं मंगलार्हं भवेदिह ।।

अस्तं याते ह्यरिष्टं स्यात्तस्मै मंगलरूपिणे ।

त्रिपुरावासिनो दैत्यान शिवबाणप्रपीडितान ।।

विद्यया जीवयच्छुक्रो नमस्ते भृगुनन्दन ।

ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन ।

बलिराज्यप्रदो जीवस्तस्मै जीवात्मने नम:।

भार्गवाय नमस्तुभ्यं पूर्वं गीर्वाणवन्दितम ।।

जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमोनम: ।

नम: शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि ।।

नम: कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने ।

स्तवराजमिदं पुण्य़ं भार्गवस्य महात्मन:।।

य: पठेच्छुणुयाद वापि लभते वांछित फलम ।

पुत्रकामो लभेत्पुत्रान श्रीकामो लभते श्रियम ।।

राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकाम: स्त्रियमुत्तमाम ।

भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं सामहितै:।।

अन्यवारे तु होरायां पूजयेद भृगुनन्दनम ।

रोगार्तो मुच्यते रोगाद भयार्तो मुच्यते भयात ।।

यद्यत्प्रार्थयते वस्तु तत्तत्प्राप्नोति सर्वदा ।

प्रात: काले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नत:।।

सर्वपापविनिर्मुक्त: प्राप्नुयाच्छिवसन्निधि:।।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं। मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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