Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार 10 दिनों तक चलता है। पहले दिन, भक्तों द्वारा गणेश की मूर्तियों को घरों और पंडालों में स्थापित किया जाता है। इन मूर्तियों को फूलों, मालाओं और अन्य सजावटों से सजाया जाता है। भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसाद अर्पित करते हैं। अगले 10 दिनों में, भक्त भगवान गणेश की भक्ति में गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं और भजन करते हैं। दसवें दिन, गणेश की मूर्तियों को जल में विसर्जित कर दिया जाता है। चलिए जानते हैं साल 2024 में कब पड़ रहा है गणेश चतुर्थी का त्यौहार।
साल 2024 में गणेश चतुर्थी कब है?
साल 2024 में गणेश चतुर्थी का त्योहार 7 सितंबर को पड़ रहा है। यह हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है जो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें विशेष रूप से प्रसन्न करने के लिए व्रत, आरती, भजन और परंपरागत नृत्य-संगीत का आयोजन किया जाता है। इस दिन को भगवान गणेश का जन्मोत्सव भी माना जाता है और लोग इस अवसर पर खुशियों में भरपूर भाग लेते हैं।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि
गणेश चतुर्थी के दिन, एक साफ चौकी पर कपड़ा बिछाकर गणेश प्रतिमा और जल से भरा कलश स्थापित करें। दीपक जलाकर “ॐ गणपतये नमः” मंत्र का जाप करते हुए गणेश जी का ध्यान करें। पंचामृत और जल से गणेश प्रतिमा को स्नान कराएं, फिर रोली, चंदन, कुंकुम, फूल, दूर्वा, पान के पत्ते, सुपारी, और मिठाई (विशेषकर मोदक) चढ़ाएं। धूप, दीपक और कपूर से आरती करें और “ॐ जय गणेश, देवा” आरती गाएं। पूजा समाप्ति पर प्रसाद (मिठाई और फल) बांटें। अंत में, गणेश जी की मूर्ति का जल में विसर्जन करें या प्रतीकात्मक रूप से विसर्जन करें। गणपति बप्पा मोरया!
गणेश चतुर्थी के उपाय
अक्षत अर्पित करें
अक्षत, जिन्हें चावल भी कहा जाता है, भगवान गणेश की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह माना जाता है कि भगवान गणेश को अक्षत अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। अक्षत को हल्का गीला कर लें अक्षत चढ़ाते समय “इदं अक्षतम् ऊं गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें।अक्षत को भगवान गणेश के मस्तक, चरणों और मूर्ति के चारों ओर चढ़ाएं।
शमी के पत्ते
शमी के पत्ते भगवान गणेश की पूजा में विशेष महत्व रखते हैं। गणेश चतुर्थी के अवसर पर शमी के पत्ते भगवान गणेश को अर्पित करने से धन-वृद्धि, सौभाग्य, विघ्न-बाधा दूर होने और जीवन में सफलता प्राप्त होने की मान्यता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने शमी के पौधे को अमरता का वरदान दिया था। इसलिए, शमी को अमरता और शुभता का प्रतीक माना जाता है।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)