Garuda Purana: मृत्यु के बाद कितने दिन में आत्मा को मिलता है पुनर्जन्म? जानें गरुड़ पुराण का जवाब

Bhawna Choubey
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Garuda Purana: मनुष्य जीवन का चक्र जन्म से आरंभ होता है और मृत्यु पर जाकर खत्म होता है, ऐसा माना जाता है। परंतु मृत्यु के बाद क्या होता है? क्या आत्मा सचमुच पुनर्जन्म लेती है? ये सवाल सदियों से जिज्ञासा का विषय रहे हैं। हिंदू धर्म में, गरुड़ पुराण मृत्यु के बाद के जीवन और पुनर्जन्म के रहस्य को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज हम इस पौराणिक ग्रंथ की रोशनी में मृत्यु के बाद की यात्रा का पता लगाएंगे और यह जानने का प्रयास करेंगे कि गरुड़ पुराण पुनर्जन्म के समय के बारे में क्या कहता है।

मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा यमलोक से आरंभ होती है। यमदूत, जो मृत्यु के देवता यमराज के सेवक हैं, आत्मा को यमलोक ले जाते हैं। यहाँ, यमराज के भवन में, चित्रगुप्त नामक देवता द्वारा मृत व्यक्ति के कर्मों का बारीकी से हिसाब-किताब रखा जाता है।

यह हिसाब दो तरह से होता है

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा का अगला जन्म उसके कर्मों पर निर्भर करता है। यदि व्यक्ति ने अपने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं, तो उसे स्वर्गलोक में स्थान मिलता है, जहां उसे अपार सुख और समृद्धि का आनंद प्राप्त होता है। वहीं, यदि व्यक्ति ने बुरे कर्म किए हैं, तो उसे नरक में जाना पड़ता है, जहाँ उसे विभिन्न प्रकार की यातनाएं भोगनी पड़ती हैं। कर्मों का हिसाब यमलोक में यमराज द्वारा किया जाता है। यहाँ, चित्रगुप्त नामक देवता द्वारा व्यक्ति के जीवनकाल में किए गए सभी कर्मों का बारीकी से लेखा-जोखा रखा जाता है।

कर्मों का बारीकी से लेखा-जोखा

ग्रंथ के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा यमलोक से आरंभ होती है। यहाँ यमराज के समक्ष कर्मों का बारीकी से लेखा-जोखा किया जाता है। अच्छे कर्म स्वर्गलोक की प्राप्ति दिलाते हैं, वहीं बुरे कर्म नरक की यातनाओं की ओर ले जाते हैं। पुनर्जन्म की अवधि तीन दिन से लेकर चालीस दिनों के बीच बताई गई है, लेकिन यह निश्चित नहीं है और कर्मों एवं इच्छाओं पर निर्भर करता है। गरुड़ पुराण का सार यह है कि सৎ कर्मों के माध्यम से ही मनुष्य को मृत्यु के बाद उत्तम गति प्राप्त हो सकती है।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)

 

 

 

 


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