Gita Updesh: भगवान श्री कृष्ण के अनुसार व्यक्तिगत विकास के होते हैं ये 4 स्तंभ, राहें हो जाती है आसान

Sanjucta Pandit
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Gita Updesh : श्रीमद्भगवद्गीता धर्म, दर्शन और योग के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के समय उपदेश दिया था। उन्होंने अर्जुन को उसके कर्तव्य का पालन करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही धर्म और योग के रास्ते पर मार्गदर्शन किया। दरअसल, युद्ध के समय अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से अपने नैतिक संदेहों को व्यक्त किया और युद्ध करने की इच्छा छोड़ने का विचार किया। उस समय माधव ने अर्जुन को युद्ध के लिए तत्परता से प्रेरित किया और विश्व रुप से रूबरू करवाया। बता दें कि गीता में जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है। इसमें कर्तव्य, धर्म, भक्ति और ज्ञान शामिल है। दरअसल, महाभारत में दो परिवार पांडवों और कौरवों के बीच धर्म और न्याय के लिए युद्ध किया गया था जोकि एक प्रकार से राजनीतिक संघर्ष था। जिसका मुख्य कारण धृतराष्ट्र के पुत्र दुर्योधन की अभिमानी और निर्दयी स्वभाव को माना गया है। इसमें कुल 18 अध्याय और लगभग 700 श्लोक हैं, जो संस्कृत भाषा में लिखा गया था। हालांकि, अब बहुत सी भाषाओं में इसका अनुवाद किया जा चुका है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको व्यक्तिगत विकास के उन 4 स्तंभों के बारे में बताएंगे, जिससे राहें आसान हो जाती है। आइए जानते हैं विस्तार से यहां…

Gita Updesh: भगवान श्री कृष्ण के अनुसार व्यक्तिगत विकास के होते हैं ये 4 स्तंभ, राहें हो जाती है आसान

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है। पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।