Puja Path Niyam: पूजा में फूल का विशेष महत्व होता है। रंग-बिरंगे पुष्पों को मनुष्य की श्रद्धा और भावना का प्रतीक माना जाता है। भगवान हीरे, मोती और अन्य रत्नों से नहीं बल्कि फूलों से खुश होते हैं। देवी-देवताओं और उनके प्रिय फूल अर्पित करने से मनोकमनाओं की पूर्ति भी होती है। सनातन धर्म में विधि-विधान के साथ पूजा करना बहुत जरूरी माना जाता है। थोड़ी सी चूँक से आपकी पूजा अधूरी रह सकती है। पूजा के दौरान फूल अर्पित करने के भी कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी माना जाता है।
हमेशा अर्पित करें पेड़ पर उगने वाले फूल
पूजा के दौरान देवी-देवताओं को पेड़ पर उगने वाले फूल अर्पित करने चाहिए। बासी, सूखे और मुरझाए फूलों को चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता है। यदि आप पेड़ से फूल तोड़कर ला रहे हैं तो ध्यान रखें उसमें कीड़े न लगे हो।

रात में तोड़े हुए फूल ना चढ़ाएं
कभी भी रात के समय तोड़े हुए फूल भगवान को अर्पित नहीं करने चाहिए। इन फूलों को देवी-देवता स्वीकार नहीं करते हैं। मान्यताएं हैं रात के समय पेड़-पौधे सो जाते हैं, कई वृक्षों में देवताओं का वास होता है। ऐसे में फूलों को तोड़ना शुभ नहीं होता।
जरूर रखें इन 3 बातों का ख्याल
फूलों को भगवान को अर्पित करने से पहले सूंघना शुभ नहीं माना जाता। ऐसा करने से फूल अशुद्ध हो जाते हैं। देवी-देवताओं को जमीन पर गिरा हुआ फूल भी नहीं चढ़ाना चाहिए। यदि फूलों पर पैर लग जाए तो भूलकर भी इन्हें भगवान को अर्पित न करें।
पानी में धुले हुए फूल ना चढ़ाएं
कई लोग लोटे के पानी में फूलों को डालकर भगवान को अर्पित करते हैं। लेकिन शास्त्रों में ऐसा करना शुभ नहीं माना गया है। धुले हुए फूल भी देवी-देवताओं को अर्पित ना करें। मान्यताएं हैं पानी में विष्णु का वास होता है। ऐसे में फूलों कॉ जल में डालने या धोने से ये भगवान को अर्पित हो जाते हैं। एक बार किसी देवता को चढ़ा हुआ फूल दूसरे देवता को अर्पित करना शुभ नहीं माना जाता।
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी साझा करना है, जो ग्रंथों, मान्यताओं और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। MP Breaking News इन बातों के सत्यता और सटीकता की पुष्टि नहीं करता।)