Gita Updesh: इंसान को हर परिस्थिति में रखना चाहिए धैर्य, सफलता चूमती है कदम

उन्होंने अपने विश्वरूप को प्रकट कर अर्जुन को यह दिखाया कि सब कुछ उन्हीं से उत्पन्न होता है और उन्हीं में विलीन हो जाता है, जिससे अर्जुन के मन की सभी दुविधाएं समाप्त हो गईं।

Sanjucta Pandit
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Gita Updesh : श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का वर्णन किया गया है। जिसमें कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जिसे संस्कृत भाषा में लिखा गया था। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान दिया। जब अर्जुन कुरुक्षेत्र के युद्ध में अपने रिश्तेदारों, गुरुओं और मित्रों के खिलाफ लड़ने से हिचकिचा रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता के उपदेश दिए। गीता के अनुसार, हर व्यक्ति को अपने कर्म का पालन करना चाहिए बिना उसके फल की चिंता किए। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया कि कर्म करना मनुष्य का धर्म है। इसलिए कर्म के फल की चिंता करना भगवान का कार्य है। उन्होंने अर्जुन को यह भी सिखाया कि आत्मा अजर-अमर है। युद्ध में अपने धर्म का पालन करना ही उसके लिए उचित है। इसके अलावा, गीता में योग, भक्ति, ज्ञान और कर्म के बारे में विस्तृत वर्णन है, जो किसी भी व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त करने के विभिन्न रास्ते दिखाते हैं। उन्होंने अपने विश्वरूप को प्रकट कर अर्जुन को यह दिखाया कि सब कुछ उन्हीं से उत्पन्न होता है और उन्हीं में विलीन हो जाता है, जिससे अर्जुन के मन की सभी दुविधाएं समाप्त हो गईं। जिसके बाद युद्ध में धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई में पांडवों की जीत हुई फिर अखंड भारत का निर्माण हुआ और धर्म की स्थापना हुई।

Gita Updesh: इंसान को हर परिस्थिति में रखना चाहिए धैर्य, सफलता चूमती है कदम

गीता उपदेश के अनुसार, इंसान को हमेशा किसी भी चीज के लिए धैर्य रखना चाहिए, क्योंकि हर दुख के बाद सुख का समय भी अवश्य आता हैं। जीवन में कठिनाइयाँ और दुःख हमेशा नहीं रहते, बल्कि उनके बाद सुख और आनंद का समय भी आता है। हर व्यक्ति को अपने कर्म करते रहना चाहिए और उसके परिणामों की चिंता नहीं करनी चाहिए।

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि

“मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत॥”

इसका अर्थ है कि सुख-दुःख जीवन का एक हिस्सा है जोकि अस्थाई होते हैं। इसलिए हमें धैर्य रखना चाहिए और हर परिस्थिति का सामना साहस और संयम से करना चाहिए।

साथ ही भगवान श्रीकृष्ण ने यह भी कहा है कि

“समः शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः।
शीतोष्णसुखदुःखेषु समः सङ्गविवर्जितः॥”

इसका अर्थ है, “जो व्यक्ति शत्रु और मित्र में समान भाव रखता है, मान और अपमान में समान रहता है, सर्दी-गर्मी और सुख-दुःख में समान रहता है और शक्ति से रहित रहता है, वह मुझे प्रिय है।” इसलिए नित अपने कर्म करते चले जाइए।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)


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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है। पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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