Gita Updesh : 18 अध्याय और 700 श्लोक वाले श्रीमद्भगवद्गीता को हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है, जिसमें इंसान को धर्म, कर्म और भक्ति का ज्ञान मिलता है। बता दें कि यह उपदेश श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन के मन में चल रहे सवालों को सुलझाने के लिए दिया गया था। जिसमें माधव ने व्यक्ति के जीवन का रहस्य बताया था। इसके साथ ही उन्होंने अर्जुन को विश्व रूप से रूबरू करवाया था। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको गीता ज्ञान में बताए गए कुछ ऐसे उपदेश बताएंगे, जिन्हें अपनाकर इंसान दुनिया का सबसे सुखी इंसान बन सकता है।
जानें गीता उपदेश के अनमोल वचन
- गीता उपदेश देते वक्त भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि इस संसार की सबसे महंगी वस्तु सुकून और शांति है, जिसे सिर्फ ईश्वर की भक्ति से ही प्राप्त किया जा सकता है। अगर अपने मन में परमात्मा को बसा लिया, तो आप धरती के सबसे सुखी इंसान बन सकते हैं।
- भगवान श्री कृष्ण ने सुख, शांति और समृद्धि पाने के लिए इंसान को अच्छे कर्म करने चाहिए। बिना इसके आपको कुछ भी हासिल नहीं होगा। माधव ने बताया है कि सृष्टि कर्म का क्षेत्र है, बिना कर्म के यहां कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।
- कई बार सुख, शांति और समृद्धि पाने के लिए इंसान कड़ी मेहनत और लगन से कार्य को करता रहता है। इसकी बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिलती। ऐसे में श्री कृष्ण ने बताया है कि मैदान में हारा हुआ इंसान फिर से जीत सकता है, लेकिन मन से हारा हुआ इंसान कभी भी जीत नहीं सकता। इसलिए हमेशा मन में यह ठान कर चलिए कि आप कभी हार नहीं सकते, इससे आपकी जीत अवश्य होगी।
- खुद को जीवन के योग्य बनाना सफलता, सुख, सुकून और शांति का एकमात्र मार्ग है। इस पर चलने वाला हर इंसान संसार का सबसे सुखी इंसान बन जाता है।
- सुख, शांति पाने के लिए श्री कृष्ण ने कहा है कि हमेशा सबके साथ अच्छा व्यवहार करें। हीरे से हीरा तो तराशा जा सकता है, लेकिन कीचड़ से कीचड़ को साफ नहीं किया जा सकता। इसलिए यह आपका धर्म है कि आप अच्छे काम करें। यह आपके मोक्ष प्राप्ति के लिए बेहद जरूरी होता है।
- माधव ने गीता उपदेश के दौरान यह बताया है कि प्रकृति का नियम है, जो भी व्यक्ति दूसरों की भलाई के लिए अच्छे काम करता है। उन सभी का परिणाम उस व्यक्ति के पास वापस लौट कर जरूर आता है। इसलिए सुख और शांति पाने के लिए आप भी हमेशा अच्छे कर्म करते रहें।
- सुकून और शांति पाने के लिए श्री कृष्ण ने बताया है कि जो इंसान मन में फल की इच्छा लेकर कर्म करते हैं। वास्तव में उन्हें न ही फल मिलता है और ना ही वह किसी कर्म के योग्य रहते हैं।
- श्री कृष्ण कहते हैं कि जिस प्रकार दीपक से तेल खत्म होने पर वह बुझ जाता है ठीक उसी प्रकार कर्म के चिन्ह हो जाने से इंसान का भाग्य भी नष्ट हो जाता है इसलिए सुख और सुकून पाने के लिए निरंतर अच्छे कार्य करते जाइए
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