2023 में लगेगा हाइब्रिड सूर्य ग्रहण, कहां कहां दिखेगा, क्या पड़ेगा असर? जानें इसके बारे में सबकुछ

Pooja Khodani
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Hybrid Solar Eclipse 2023:  नए साल में एक बार फिर सूर्य ग्रहण लगने वाला है, लेकिन 2023 का सूर्य ग्रहण कुछ अलग होने वाला है। इस ग्रहण की खास बात ये है कि इसके दौरान सूर्य अपने सबसे विचित्र स्वरूप में देखा जा सकेगा। दूसरे शब्दों में कहे तो एक ही दिन में 3 तरह के सूर्य ग्रहण लगेंगे- आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण।ये बहुत ही दुर्लभ माना जाता है और यही कारण है इसे खगोलविद् और ज्योतिष शास्त्र में हाइब्रिड सूर्य ग्रहण का नाम दिया गया है।

2023 में लगेगा हाइब्रिड सूर्य ग्रहण, कहां कहां दिखेगा, क्या पड़ेगा असर? जानें इसके बारे में सबकुछ

दरअसल,  हाइब्रिड वैरायटी की फसल की चर्चा तो होती रहती है, लेकिन ग्रहण भी हाईब्रिड हो ,यह कम ही लोग जानते हैं। स्कूलों में भी सोलर इकलिप्स को टोटल , पार्शियल या एन्यूलर के रूप में ही पढ़ाया जाता है लेकिन नया साल पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध में लेकर आ रहा है हाईब्रिड सोलर इकलिप्स को। बता दें कि ये दुर्लभ खगोलीय घटना 100 सालों में कभी-कभी ही होती है।

2023 में लगेगा हाइब्रिड सूर्य ग्रहण, कहां कहां दिखेगा, क्या पड़ेगा असर? जानें इसके बारे में सबकुछ

नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू बताती हैं कि सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक होता है तो सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है और उस भाग में पूर्णसूर्यग्रहण दिखता है। यदि परिक्रमा के दौरान चंद्रमा दूर रहता है तो वह सूर्य की डिस्क को पूरा नहीं ढ़क पाता है और सूर्य एक कंगन के रूप में चमकता दिखता है। इसे वलयाकार सूर्यग्रहण कहते हैं। अगर चंद्रमा न तो ज्यादा दूर हो और न ही बहुत पास तो हाईब्रिड सोलर इकलिप्स की स्थिति बनती है जिसमें छाया के केंद्रीय भाग के लोग तो टोटल सोलर इकलिप्स महसूस करते हैं लेकिन उसी समय आस पास के लोग एन्यूलर सोलर इकलिप्स देख रहे होते हैं।

कब और कहां दिखेगा

सारिका घारू बताती हैं कि इसमें उपछाया वाले भाग में पार्शियल सोलर इकलिप्स देख रहे होते हैं। तीनों ग्रहण एक साथ दिखाई देने के कारण ही इसे हाईब्रिड सोलर इकलिप्स कहा जाता है। इसे एन्यूलर -टोटल एकलिप्स भी कहते है।  यह नये साल में 20 अप्रैल 2023 को घटित होने जा रहा है। यह ग्रहण वैसे भारत में तो नहीं दिखेगा। यह पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्द्ध में भारतीय समय के अनुसार सुबह लगभग 7 बजे से दोपहर 12 बजकर 30 मिनिट तक होगा। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि ग्रहण का चौथा प्रकार समझने का यह एक अच्छा अवसर होगा जिसे कम ही लोग जानते हैं।

एक साल में दो से लेकर 5 तक सूर्यग्रहण हो सकते हैं।

  • हाइब्रिड सूर्यग्रहण आमतौर पर हर 2 से 5 साल पर लगता है, जबकि 21वीं सदी में सिर्फ 3.1 प्रतिशत सूर्यग्रहण हाइब्रिड माने गए हैं।
  • 21 वी सदी में 224 सूर्यग्रहण की गणना की गई है, जिसमें से केवल 7 ही हाईब्रिड सूर्यग्रहण होंगे, इसका मतलब सिर्फ 3.1 प्रतिशत ।
  • पिछला हाईब्रिड सोलर इकिलिप्स 3 नवम्बर 2013 को हुआ था, जिसको केवल अफ्रीकाई देशों में देखा गया था।
  • अगला हाईब्रिडसोलर इकलिप्स 14 नवम्बर 2031 को होगा।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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