Jaya Ekadashi 2024 : हिंदू धर्म में हर महीने दो बार एकादशी मनाई जाती है। एकादशी का व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को पड़ता है। इस दौरान अन्न, दाल, गेहूं, चावल नहीं खाए जाते। बता दें कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और आप पर विशेष कृपा बनाए रखते हैं। इसी कड़ी में फरवरी महीने की जया एकादशी 20 फरवरी को है। आईए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा विधि विस्तार से…
जानें शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, 19 फरवरी को सुबह 08:49 पर जया एकादशी की शुरुआत होगी, जिसका समापन अगले दिन यानी 20 फरवरी को सुबह 9:55 पर होगी। इसलिए यह व्रत 20 फरवरी को रखा जाएगा। लोग इस दिन उपवास करते हैं और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। इसे पुण्य कमाने करने का खास अवसर माना जाता है।
दक्षिण भारतीय राज्यों में जया एकादशी को भौमी एकादशी और भीष्म एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण के उपदेश का पालन करते हुए भीष्म पितामह ने अपने प्राणों का त्याग किया था।
ऐसे करें पूजा
- सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठे और स्नान करें।
- इसके बाद पूजा के लिए शुभ स्थान का चयन करें। उस स्थान को साफ करें।
- पूजा से पहले एक छोटा सी चौकी, दीपक, कलश, अगरबत्ती, धूप, सुपारी, इलायची, लौंग, धनिया, अचार, फल, नारियल, घी, दूध, अदरक और खीर रखें।
- पूजा की शुरूआत सूर्य देव को अर्घ्य देकर करें।
- जिसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति का पूजन करें। इसके साथ ही, तुलसी के पत्ते, फूल, चावल चढाएं।
- पूजा के बाद भगवान को प्रसाद के रूप में फल, खीर, चावल चढ़ाएं।
- इसके बाद जया एकादशी की कथा सुनें और भगवान विष्णु की आरती गाएं।
इन नियमों का करें पालन
- इस दिन व्रतियों को कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
- इस दिन गरीबों को दान करें और भोजन करवाएं।
- शराब, मांस, मदिरा और धूम्रपान का सेवन भी वर्जित है।
- व्रत के दौरान कामवासना को त्याग देना चाहिए।
- इस दिन पान का सेवन या फिर दातुन करना वर्जित है।
- एकादशी व्रत करने के पहले या उसी दिन चावल से बना कोई भी अन्न ना ग्रहण करें।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)